माइनॉरिटी जातियों में आदिवासी परिवारों की बहुत संख्या बड़ी है, इसीलिए प्रदेश की सरकारें इन परिवारों को आगे बढ़ाने के लिए हर समय प्रयास करती रहती है. त्रिपुरा राज्य के गोमती जिले के वन क्षेत्रों में रह रहे आदिवारसी परिवारों के लिए आजीविका के मौके सृजित करने और राज्य में मछली पालन को बढ़ाने के लिए बांध के जरिए एक बड़ा जलाशय बनाया गया और इन क्षेत्र में रहने वाली आदिवासी महिलाओं की ज़िन्दगी परिवर्तित हो गयी. जामिनीसारी मोलसोम, एक अडवासी महिला, जो पहले पहाड़ियों की ढलानों पर खेती करती थीं और अब पहाड़ियों की तलहटी में स्थित एक गांव में बस गई हैं और जलाशय में मछली पकड़कर अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही हैं. वन विभाग की Tripura JICA Project (Japan International Cooperation Agency) के तहत आने वाली वन भूमि में एक हेक्टेयर से अधिक भूमि का बड़ा जलाशय बनाया गया है. इसका मकसद मुख्य रूप से वनों में रहने वाले आदिवासी महिलाओं के लिए आजीविका के मौके तैयार करना और वैज्ञानिक तरीके से मछली उत्पादन को बढ़ाना है. इस क्षेत्र की आदिवासी महिलाएं खुम्पुई स्वयं सहायता समूह (SHG) की सदस्य हैं. यह SHG प्रति वर्ष पांच लाख रुपये से अधिक कमाता है.
वे कहते है- ‘‘हम मत्स्य पालन के अलावा सूअर पालन और अपनी जमीन पर सब्जियों की खेती कर बेफिक्री के साथ जीवन जी रहे हैं.’’ Tripura JICA Project के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं परियोजना निदेशक डॉ अविनाश एम. कानफडे ने कहा, ‘‘इस प्रोजेक्ट के तहत त्रिपुरा के जंगलों में छोटा बांध बनाकर बड़ी संख्या में जलाशय बनाए गए हैं. अगर इन जल क्षेत्रों का पूरी तरह से उपयोग किया जाता है तो मछली उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और साथ ही गरीब वन निवासी महिलाओं के लिए आजीविका के मौके सुनिश्चित हो सकते हैं.’’ मत्स्य पालन विभाग के अधीक्षक बप्पी बासफोर ने कहा- "राज्य में मछली की खपत काफी ज्यादा है लेकिन उतनी पैदावार नहीं है. इस परियोजना का उद्देश्य इस अंतर को पूरा करना है.’’ त्रिपुरा के Self Help Groups की महिलाओं के लिए यह एक बड़ी पहल साबित होगी. यह परियोजना अभी से महिलाओं और उनके परिवारों के लिए काफी फायदेमंद रही है. सरकारों को इस तरह की परियोजनाएं लाते रहना चाहिए ताकि देश के आदिवासी परिवारों की महिलाएं अपना जीवन खुशहाल बना पाएं.