सीरिया में पिछले 10 सालों से बर्बादी और हिंसा का दौर है. न घर, न कमाई, और न ही दो वक्त की रोटी. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने साल 2020 में सीरिया के जापान दूतावास के साथ मिलकर स्वसहायता समूह की शुरुआत की. 8.18 मिलियन डॉलर की इस परियोजना का लक्ष्य था सीरियाई लोगों खासतौर पर महिलाओं को कमाई शुरू करने में मदद करना. UNDP ने 15 -25 महिलाओं के समूह बनायें. इस तरह सीरिया के पांच इलाकों में 24 स्वसहायता समूहों (SHGs) की शुरुआत हुई.
जापान सरकार और UNDP ने बचत और कमाई करने के दो तरीके चुनें. पहला, एकता फंड जो अचानक आई मुसीबत में काम आता और दूसरा, उधार और बचत कोष जो समूह के सदस्यों को काम शुरू करने या बढ़ाने में सहायता करता. इन समूहों को अपने काम को बेहतर करने के लिए ट्रेनिंग भी मिली. माइक्रो फाइनेंस के सही इस्तेमाल के साथ टीम मैनेजमेंट से SHG की बात बनने लगी.
जैसे सीरिया के अल कुनेत्रा में रहने वाली 51 साल की नज़ीहा ने SHG को कमाई का इकलौता ज़रिया बनाया और अपंग पति की देखभाल भी करी. नज़ीहा आज अपने बेहतरीन साज ब्रेड के लिए जानी जाती हैं. कुछ साल पहले नज़ीहा के पास ब्रेड की भट्टी खरीदने तक के लिए पूरे पैसे नही थे. इन हालातों में वह अल-कुनैत्रा में चल रहे स्वसहायता समूहों में से एक अल-करज़ा में शामिल हुई. समूह से मदद मिलने के बाद उन्होंने अपने ब्रेड बनाने के काम को बिज़नेस में बदला. आज वह अपने परिवार को वह सब दे पा रहीं है जिसके बारे में पहले कभी सोचा तक नहीं था.
इसी तरह अल-हसाकाह, सीरिया से कमिशली भी गर्व के साथ बताती हैं कि, "SHG से जुड़कर मैं अपने बच्चों के लिए घर बना पाई." आज कमिशली पूरे इलाके में मिसाल हैं.
नदवा को अल-अमल स्वसहायता समूह से दस लाख सीरियाई पाउंड का फंड मिला. इस से उन्होंने अपनी पशु चिकित्सा फार्मेसी को बढ़ाया. आज यह फार्मेसी पूरे इलाके में मशहूर है. नदवा, कमिशली, नज़ीहा जैसी सैकड़ों बदलाव की कहानियां सीरिया भर में मिल जायेगीं जिसके पीछे SHG हैं.
इन स्वसहायता समूहों ने युद्ध में बर्बाद सीरिया के लगभग 2500 लोगों को हौसला और सहारा दिया है. यह सब मज़बूत बन, अपने समुदाय में बदलाव ला रहीं है. समूहों ने लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारा और साथ ही उनमे एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ाया. युद्ध की तबाही के बीच ये समूह उम्मीद का बीज बो रहें हैं. दुनिया में अनेकों जगह हिंसा और निराशा के बीच जी रहीं महिलाओं के लिए ये स्वसहायता समूह विकास का ज़रिया बन सकते हैं.
इन स्वसहायता समूहों ने युद्ध में बर्बाद सीरिया के लगभग 2500 लोगों को हौसला और सहारा दिया है. यह सब मज़बूत बन, अपने समुदाय में बदलाव ला रहीं है. समूहों ने लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारा और साथ ही उनमे एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ाया. युद्ध की तबाही के बीच ये समूह उम्मीद का बीज बो रहें हैं. आज दुनिया के काफ़ी देशों में गरीबी, हिंसा और निराशा भयानक रूप ले चुकी है . जिसका सबसे ज़्यादा शिकार महिलाएं होती हैं. दुनियाभर में SHG वो पहल हो सकती है जो इन कठिनाइयों से न केवल महिलाओं बल्कि उनके परिवार को भी बाहर निकाले.
image widget