बद्रीनाथ, भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे पावन भूमि में से एक है. इस देव भूमि पर यहाँ आने वाले लोगों को एक अलग ही आनंद मिलता है, तो सोचिये जो लोग यहाँ बसे है उनके जीवन कितनी शान्ति से भरे होंगे.
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बद्रीनाथ गए, तब वहां के जोशीमठ आदिवासी समुदाय ने उन्हें भोज पत्र पर धर्म ग्रंथों और बद्रीनाथ के महात्म्य का सुंदर चित्रण भेंट किया. हाल में सीमांत क्षेत्र मलारी में आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को ग्रामीणों ने स्वागत में जब भोज पत्र की माला पहनाई. भोजपत्र की इस प्रथा को SHG महिलाओं की अगुवाई में किया जाता है. स्वयं सहायता समूहों के इन सभी प्रयासों की बहुत सरहाना की गयी. यहां आने वाले भक्तों को भी आदि काल से महत्वपूर्ण भोज पत्र पर अब भगवान बदरी विशाल की आरती, बद्रीनाथ और धार्मिक जगत के प्राचीन ग्रंथों के श्लोक, दिव्य और पवित्र श्रृंगार के लिए भोज पत्रों की माला उपलब्ध कराए जाने की बात भी चल रहीं है.
इन्हीं सब प्रयासों को देखते हुए उत्तराखंड के चमोली जिले में 'राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन' के तहत भोज पत्र कैलिग्राफी प्रशिक्षण के दौरान ग्रामीणों को भोज पत्र के रचनात्मक प्रयोग का हुनर सिखाया जा रहा है. भोजपत्र पर कैलिग्राफी के में महिलाओं को इस पर बद्री धाम की आरती, बद्री विशाल के श्लोक, भोज पत्र की माला व अन्य कई तरह के चित्र बनाने की ट्रेनिग देकर किया जा रहा है. आने वाले समय में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से भोज पत्र की इन सुंदर कलाकृतियों को बद्रीनाथ में यात्रियों को उपलब्ध करवाया जाएगा. इससे महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी.
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चामोली गांव से स्वयं सहायता समूह जब अपनी पारंपरिक कला को यात्रियों के सामने रखेंगे तो बद्रीनाथ आने वाले हर व्यक्ति को यहां की संस्कृति के बारे में पता पड़ेगा. देश के हर शहर में ऐसा कुछ न कुछ ऐसा होता ही है जिससे उस जगह की संस्कृति झलकती हो. अगर हर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी संस्कृति को पर्यटकों तक पहुंचाने की ठान लें तो उनके लिए कमाई का एक बहुत अच्छा ज़रिया भी बन जाएगा और उनकी कला दुनिया तक भी पहुंचेगी. निःसंदेह भोज पत्र के रचनात्मक कार्य और इस पर कैलिग्राफी सृजन कला और आर्थिकी की आत्म निर्भरता के लिए महत्वपूर्ण अवसर है.