सही फंडिंग के साथ गोवा के SHG बना सकते है मिड डे मील को पौष्टिक

गोवा सरकार पर 100 से अधिक SHG का मिड डे मील सप्लाई का 13 करोड़ रूपए बकाया है. यह फण्ड रिलीस नहीं होने से समूह की महिलाओं को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. समूह ने लोन लिए और बच्चों को पौष्टिक आहार मिले इसके लिए अपना सोना तक गिरवी रख दिया.

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हेमा वाजपेयी
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image credit : The Hindu

मिड-डे मील स्कीम (Mid Day Meal Scheme) पुरे भारत के स्कूलों में चलाई जा रही है ऐसी स्कीम है, जिसका उद्देश्य प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार करके प्राथमिक शिक्षा की क्वालिटी को ऊपर उठाना है. काफी सालों से चल रही है यह स्कीम को पीएम पोषण योजना (PM Poshan Yojana) के नाम से जाना जाता है. मिड-डे मील (Mid Day Meal) की शुरुआत गोवा के स्कूलों में भी की गयी जिसमे स्कूली छात्रों को ताजा गरम और पौष्टिक खाना दिया जाता है. इस स्कीम में भोजन सप्लाई में कुछ समय से उतार - चढाव देखने को मिल रहे थे. इस समस्या के हल के रूप में SELF HELP GROUPs सामने आये जिन्हे यह खाना बनाने का काम दिया गया. स्वयं सहायता समूह द्वारा मिड डे मील बनाने का एक्सपेरिमेंट सफल रहा. SHG अपना काम तन और मन के साथ कर रहे थे लेकिन उनके सामने कुछ जगह धन की समस्या आ रही है. खाना बनाने का सामन खरीदने के लिए इन्हे पर्याप्त रुपये नहीं मिल पा रहे है. जिसकी वजह से भोजन की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार स्वयं सहायता समूहों के सामने भोजन की क्वालिटी और स्टेबिलिटी को बनाये रखना चिंता का विषय बन गया है. छात्र छात्राओं  को परोसे जाने वाले भोजन की क्वॉलिटी कम हुई, जिसको खाने के बाद कुछ छात्र बीमार पड़ गए और उन्हें अस्पताल तक ले जाना पड़ा. इसका ठीकरा SHGs पर फोड़ा गया और उनके कठघरे में खड़ा कर दिया गया.

आज गोवा सरकार (Government of Goa) पर 100 से अधिक SHG का मिड डे मील सप्लाई (Mid Day Meal Supply) का 13 करोड़ रूपए बकाया है. यह फण्ड रिलीस नहीं होने से समूह की महिलाओं को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इतना सब होने के बाद भी समूह की महिलओं ने हार नहीं मानी और पढ़ने वाले बच्चों को भूखा नहीं रहने दिया. समूह ने अपने स्तर पर लोन लिए और बच्चों को पौष्टिक आहार मिले इसके लिए अपना सोना तक गिरवी रख दिया. सरकारें नॉन - प्रॉफिट संगठनों को कई क्षेत्रों में कई तरह से फाइनेंसियल सहायता दे रही है. इन NGOs (Non - Govermental Organizations) के पास फंडिंग जुटाने के कई तरीके है लेकिन गोवा में SHG पूरी तरह से सरकारी फंडिंग पर निर्भर है और उन्हें समय पर फंडिंग ना मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बच्चों की बेहतर सेवा और गुड क्वॉलिटी भोजन सुनिश्चित करने के लिए स्वयं सहायता समूहों को समय पर भुगतान करना महत्वपूर्ण है.

छात्रों की सेवा करने वाले स्वयं सहायता समूह न केवल राज्य की जीडीपी (GDP) और आर्थिक स्थिति में योगदान करते हैं बल्कि महिलाओं  के लिए रोजगार तथा सिंगल मदर्स (Single Mother) को फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस (Financial Indepence) के अवसर प्रदान करते हैं। समूह की महिलाओं का समर्थन करने के लिए, सरकार को इकनोमिक डेवलपमेंट कारपोरेशन (Economic Development Corporation, EDC) के माध्यम से बिज़नेस एनहांसमेंट फाइनेंशियल स्कीम (Business Enhacement Financial Scheme) को लाना चाहिए और बेहतर फ़ूड क्वॉलिटी (Food Quality) के लिए लेटेस्ट फ़ूड टेक्नोलॉजी (Latest Food Technology) को शामिल करके उन्हें फाइनेंशियली स्ट्रांग बनाया जा सके। मिड डे मील स्कीम की सफलता तथा स्कूली छात्रों की ओवरआल भलाई तथा शिक्षा  के लिए, सरकार को SHG की फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस को प्राथमिकता  देने की जरुरत हैं. मिड डे मील स्कीम का असली परिणाम तब ही दिखेगा जब माँ के हाथों से बना खाना बच्चों तक पहुंचेगा. 

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