महिला सशक्त तो देश में बरकत

भारत देश में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू कि गयी सारी योजनाएं महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. यह सच है कि अभी बहुत बदलाव की गुंजाईश है, लेकिन जिस गति से महिलाएं सशक्तिकरण की और बढ़ रही है, वह बहुत सराहनीय है.

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रिसिका जोशी
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Women Empowerment by Governemt

Image Credits: Ravivar Vichar

"जब भी मैं हवाईजहाज देखती थी, हमेशा सोचती थी, की एक दिन मैं भी इसे उडाऊंगी." यह कहा, ग्यारवी क्लास में पढ़ रहीं कली ने, जिसे बड़ा होकर पायलट बनना है. Science (विज्ञान) की इस छात्रा के सपने जितने बड़े है, उतनी ही लगन और चमक दिखती है इसकी आंखों में. दूसरी तरफ एक और बेटी जिसका नाम अंशिका है, वो भी स्कूल जाती है और बड़ी होकर डॉक्टर बनाने का सपना देखती है. अंशिका की माँ ने बहुत छोटी उम्र में पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन वो अपनी बेटी को हर वो सुख देना चाहती है जिसकी वो हक़दार है. अंशिका और कली दोनों की कहानियां, किसी को भी काम करने के लिए प्रेरित कर दे. यह दोनों Pardada Pardadi Educational Society की छात्राएं हैं जो गरीब परिवार की बेटियों को पढ़ाती है. उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव अनूपपुर में रहती है ये दोनों बेटियां. प्रधानमंत्री की महिला और बेटियों के लिए बनाई गयी योजनाओं की कामियाबी को दर्शाती है इन बच्चों की कहानी. 

भारत सरकार जब से इस देश में कार्यरत है, उन्होंने महिला साक्षरता और सशक्तिकरण को अपनी प्राथमिकता बनाया है. चाहे वो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना' हो, 'प्रधानमंत्री आवास योजना' हो, या, 'प्रधानमंत्री जन-धन योजना', हर योजना ने 9 सालों में सिर्फ महिला सशक्तिकरण और कल्याण का परचम लहराया है. माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के दाखिले का प्रतिशत 75.51 प्रतिशत से बढ़कर 79.46 प्रतिशत हो गया. प्रधानमंत्री की वित्तीय सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि कहती हैं- "देश के स्कूलों में लड़कियों का प्रदर्शन लड़को से काफी बेहतर रहता है." राजनीतिक विश्लेषक और शोधकर्ता डॉ मनीषा प्रियम का मत है- "शिक्षा नीति के लक्ष्य तभी पूरे होते हैं जब सरकारें लड़कियों, महिलाओं और सुविधाहीन सामाजिक वर्गों पर विशेष ध्यान देती हैं."  

अपोलो अस्पताल की संयुक्त प्रबंध निदेशक डॉ संगीता रेड्डी कहती हैं कि- " मुझे सबसे ज्यादा इस बात का गर्व है जागरूकता बढ़ने से माध्यमिक शिक्षा में जहां पहले 76 प्रतिशत लड़कियों के नाम लिखे थे, वह अब बढ़कर 84 प्रतिशत हो गए हैं." सरकार महिलाओं को self help group से जोड़ने पर बहुत ज़ोर देती है. इन समूहों का हिस्सा बनकर लाखों महिलाओं की ज़िन्दगी बदल चुकी है. उत्तर प्रदेश की महिलाऐं समूह से जुड़कर नौकरी कर रही है जिनसे उन्हें अपने परिवार को चलाने में काफी आसानी हो रही है. छात्रा कली की मां ने बताया- "मैं SHG से जुडी हुई हूं. इसी कारण मुझे शौचालय की साफ-सफाई का काम मिला. आज मैं छह हजार रुपये कमा लेती हूं." SHG की सदस्य रानी सिंह कहती हैं- "फायदा हो रहा है और इसीलिए हमने कुछ जानवर खरीद लिए है. अच्छी खासी कमाई भी हो रही है."

SHG Women in India

Image Credits: Effectiveness Consortium on Women's Groups 

India Sanitation Coalition और Rothschild and Company, India की चेयरपर्सन नैना लाल किदवई ने कहा- "जो सबसे खास चीज हमने हासिल की है वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए हुई है, जिसमें लगभग चार लाख ग्रामीण महिलाओं के SHGs को प्रशिक्षण के जरिए मदद की गई. इस मिशन ने गरीब और वंचित समुदायों की 8.7 करोड़ महिलाओं के 81 लाख self help group तैयार किये गए. SHG का यह अभियान को देश को बदलने में बहुत अहम भूमिका निभाएगा. हमारे SHGs जितने मजबूत होंगे उतना ही माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं के लिए उन्हें कर्ज देना आसान हो जाएगा क्योंकि माइक्रोफाइनेंस ज्यादातर SHGs के जरिए ही दिया जाता है."            

डॉ संगीता रेड्डी कहती हैं- "SHG आंदोलन से महिला सदस्यों की संख्या बढ़ रही है और उनको मजबूत नेतृत्व भी मिल रहा है. प्रधानमंत्री का बहुत मशहूर बयान है कि भारत केवल महिला विकास पर नहीं बल्कि महिलाओं की अगुवाई में विकास पर ध्यान दे रहा है." एक महिला जो कि प्रधानमंत्री आवास योजना के कारण आज एक घर में रह रही है बताती है- "SHG वालों की तरफ महिलाएं आई और मेरा नाम योजना के तहत लिख कर ले गयी. तब हमें यह मकान मिला. टॉयलेट भी सरकार की तरफ से बना." सरकार ने पहले कुछ सालों में ही 10 करोड़ शौचालय बनवाए और इसके बाद data सामने आया कि औरतों के ऊपर होने वाले क्राइम में बहुत भारी बदलाव और गिरावट आई. SUGAR कॉस्मेटिक्स की सह-संस्थापक (Co-Founder) विनीता सिंह कहती हैं कि- "यह पक्का है कि अगले 10 साल में महिला नेतृत्व एक्सप्लोड होने वाला है. मेरी जैसी कई इंटरप्रेन्योर 10 साल पहले सोच नहीं सकती थीं कि अपना खुद का बिजनेस बनाकर बड़ा करें." भारत देश में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू कि गयी सारी योजनाएं महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. यह सच है कि अभी बहुत बदलाव की गुंजाईश है, लेकिन जिस गति से महिलाएं सशक्तिकरण की और बढ़ रही है, वह बहुत सराहनीय है.

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