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Image Credits: The Telegraph
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देशभर में SHG महिलाएं आर्थिक और सामाजिक क्रांति ला रही हैं. ओडिशा में SHG दीदियां आर्थिक क्रांति के साथ-साथ सामाजिक क्रांति की अगुवाई भी कर रही हैं. राज्य के कई ग्रामीण हिस्सों में, SHG महिलाएं स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए घरों में शौचालय बनवा रही हैं. ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की कमी होने के बावजूद, ये उन टॉप पांच प्रदेशों में से है, जिनके गांवों को खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित किया गया है.
खुले में शौच ने अक्सर लड़कियों और महिलाओं के बीच मौखिक, शारीरिक और यौन हिंसा सहित बीमारियों को बढ़ाया है, जिससे कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक मुश्किलें पैदा हुई. इस समस्या से निपटने के लिए ,संबलपुर के नीलडूंगरी गांव की बेदामती मिर्धा ने खुले में शौच के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और लोगों को जागरूक किया. और इस बदलाव की शुरुआत उन्होंने अपने परिवार से की. महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़कर, मिर्धा ने अपने घर में एक रेट्रोफिटेड ट्विन पिट शौचालय का निर्माण किया. मिर्धा बताती हैं कि इससे बीमारियों और कई तरह की समस्याएं ख़त्म हुई हैं.
कैंसर पीड़ित प्रभसिनी मुंडा ने भी शौचालय निर्माण को प्राथमिकता दी और बताया कि खुले मैदान में हमेशा सांप और दूसरे जहरीले कीड़ों का डर रहता था और मानसून के मौसम में समस्या और बढ़ जाती थी. पर अब उनका ये डर ख़त्म हो चुका है. महिलाओं ने बेहतर स्वच्छता प्रथाओं के बारे में ग्रामीणों से बात करने के लिए घर-घर जाकर उन्हें शौचालय निर्माण में मदद करने वाली सरकारी योजनाओं के बारे में बताया. जिसके बाद, जागरूकता बढ़ने की वजह से कई महिलाओं ने इस मुहीम का समर्थन किया और अपने घरों में शौचालय बनवाने गांव की महिलाएं शौचालय को 'इज्जत घर' कहती हैं.
रेट्रोफिटेड ट्विन पिट शौचालय का सबसे बड़ा फायदा ये है कि उससे पानी या मिट्टी प्रदूषित नहीं होती और प्राकृतिक तरीके से वेस्ट का उपचार हो जाता है. एक बार शौचालय बन जाने के बाद, स्वयं सहायता समूह निगरानी करते है कि नियमित रूप से सुविधा का उपयोग किया जा रहा है या नहीं. स्वच्छ भारत अभियान को इन महिलाओं के इस ख़ास योगदान से बढ़ावा मिला है और समाज में बदलाव आया है.