महिला किसान संगठन से रोज़गार भी, तरक्की भी

राजीविका के माध्यम से राज्य में SHG का गठन किया गया. इसके बाद,महिला एफपीओ का गठन जल्द ही किया जाएगा. एफपीओ में सदस्यों की शेयर पूंजी और सरकार से प्राप्त इक्विटी अनुदान के अलावा एक एफपीओ के प्रबंधन के लिए 6 लाख रुपये की राशि तय की गई है.

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image credits: SSP

कृषि सखी बन स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गांवों तक कृषि तकनीक को ले जा रही हैं, संगठित बन फसल का सही दाम मांग रही हैं, और छोटे किसानों को उपज बढ़ाने में मदद कर रही हैं. राजस्थान के स्वयं सहायता समूहों ने इसी दिशा में बढ़ते हुए में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की शुरुआत की. इन एफपीओ की सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य में 30 अतिरिक्त महिला एफपीओ बनाने का लक्ष्य रखा है.

ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) के माध्यम से राज्य में कई महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया. इसके बाद,महिला एफपीओ का गठन जल्द ही किया जाएगा. एफपीओ में सदस्यों की शेयर पूंजी और सरकार से प्राप्त इक्विटी अनुदान के अलावा एक एफपीओ के प्रबंधन के लिए 6 लाख रुपये की राशि तय की गई है. विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के सैकड़ों सदस्य एक एफपीओ में शामिल हो सकेंगे. 

ग्रामीण विकास विभाग सचिव एवं मिशन निदेशक मंजू राजपाल ने कहा कि राजीविका द्वारा गठित एफपीओ सेब के कस्टर्ड पल्प, पोषक सोयाबीन के लड्डू, पशु चारा, शहद और सरसों के तेल जैसे कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन और बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. सफल एफपीओ का एक उदाहरण झालावाड़ में झालावारी महिला किसान उत्पादक कंपनी है, जो महिलाओं का एफपीओ है, जो शहद बनाने और मार्केटिंग का काम कर रही है जिसमे महिला सदस्यों की संख्या करीब 700 है. यह एफपीओ, सदस्यों की लगभग 19 लाख रुपये की शेयर पूंजी के साथ शुरू किया गया था और सरकार ने 10 लाख रुपये का इक्विटी अनुदान प्रदान किया, जबकि एफपीओ के प्रबंधन के लिए 6 लाख रुपये प्रति वर्ष रखा गया है. इस एफपीओ द्वारा बनी शहद की मार्केटिंग 'मधुसखी झालावारी हनी' के नाम से की जा रही है.

इसी तरह बड़ी सादड़ी महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी-चित्तौड़गढ़ जिले की एक कंपनी है जिसमें 666 महिला सदस्य हैं और मुख्य काम कच्ची घानी सरसों के तेल का उत्पादन और विपणन करना है. कृषि क्षेत्र में इन महिलाओं की भागीदारी से किसानों को फायदा मिला है. ऐसी पहलें और भी राज्यों में होनी चाहिए ताकि महिलाओं को रोज़गार मिलने के साथ-साथ किसानों को संगठित भी किया जा सके.  

स्वयं सहायता समूह राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) महिला एफपीओ कृषि तकनीक