महिलाओं की आर्थिक क्रांति का पहला नाम NRLM

NRLM का मक़सद ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वसहायता समूहों (SHG) में संगठित करना है. कौशल विकास, क्षमता निर्माण, वित्तीय समावेशन और मार्किट तक पहुंच में सहायता देकर उनके आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है.

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Image Credits: NRLM

आर्थिक रूप से कमज़ोर या कमाई का कोई रास्ता नहीं होना , ये वह कारण है जिससे भारत के करोड़ों लोगों को ग्रामीण और शहरी इलाकों में शोषित जिंदगी गुज़ारने पर मजबूर होने पड़ता है . इसी शोषण से उनकी आर्थिक, सामजिक, शारीरिक और भावनात्मक स्थिति काफ़ी ख़राब हो जाती है. भारत में करीब 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. शहरी इलाकों में 8.81% और ग्रामीण इलाकों में गरीबी अनुपात 32.75% है. सेंट्रल गवर्नमेंट ने साल 2021 में दीनदयाल अंत्योदय योजना को स्टार्ट किया. 

ग्रामीण इलाकों में DAY-NRLM या 'दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन' की शुरुआत 2011 में हुई जिसकी निगरानी ग्रामीण विकास मंत्रालय करता है. इसी तरह शहरों में गरीबी पर पूर्णविराम लगाने के लिए DAY-NULM यानी दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन 2013 में शुरू हुआ. इसे आजीविका मिशन के नाम से भी जाना जाता है.   

NRLM का मुख्य गोल ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वसहायता समूहों (SHG) में संगठित करना है. कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट), क्षमता निर्माण (कैपेसिटी बिल्डिंग), वित्तीय समावेशन(फाइनेंशियल इन्क्लुशन) और मार्किट तक पहुंच में सहायता देकर उनके आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है. आपको बता दें कि ये NRLM सामाजिक पूंजी (सोशल केपिटल ) बनाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने पर भी फोकस करता है. आज देशभर के 70 लाख SHG में लगभग 8 करोड़ महिलाएं शामिल हैं. इन स्वसहायता समूहों ने ग्रामीण गरीबों खासकर महिलाओं को स्थिर रोज़गार दिया ताकि वे आत्मनिर्भर बन खुद पैसे कमा सके.  

तकरीबन 9,00,000 उम्मीदवारों को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट दिया जायेगा. 60 हजार स्ट्रीट वेंडर और बेघर लोगों को परमानेंट घर बनाने के लिए आर्थिक राशि मिलेगी. करीब 16,00,000 स्ट्रीट वेंडर का पहचान सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा. सेंट्रल गवर्नमेंट ने 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया. स्किल ट्रेनिंग की सहायता से रोजगार पाने के लिए शहरों में निवास करने वाले और इस योजना के लिए पात्रता रखने वाले लोगों को ₹15,000 दिए जाते हैं ताकि वह इन्वेस्टमेंट कर सके.

आज देश के कोने-कोने में स्वसहायता समूह आर्थिक क्रांति को नई उचाइयां दे रहे हैं. कस्बों और गांवों की महिलाएं समूह से जुड़ने के लिए नए अवसर तलाश रही हैं ताकि वो आर्थिक आज़ादी को पा सकें और आर्थिक क्रांति का हिस्सा बनें. इन समूहों से जुड़ने के लिए अपने जिले में आजीविका मिशन के अधिकारियों से मिल रही हैं. यहीं उन्हें समूह बनाने और कमाई का रास्ता दिखाया जाता है. ख़ास बात यह है कि इन नए समूहों के गठन में पुराने समूह के सदस्य मदद कर रहे हैं. जो आगे चल कर ग्राम संगठन का रूप ले लेते हैं.  

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