नवरात्रि (navaratri 2023) भारतीय पर्वों में एक महत्वपूर्ण पर्व है और पूरे भारत में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को पूजा जाता है. मां शैलपुत्री, नवदुर्गाओं में से एक हैं और वह शांति, सद्गति और सम्पूर्ण खुशियों का प्रतिक है.
मां शैलपुत्री के और नाम
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माता सती ने योगाग्नि में खुद को भस्म किया और अगले जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया. हिमालय को शैल भी कहा जाता है ऐसे में हिमालय राज की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री (maa shailputri navaratri) पड़ा. मां शैलपुत्री को पार्वती, वृषोरूढ़ा, सती, हेमवती, उमा के नाम से भी जाना जाता है.
मां शैलपुत्री किसकी प्रतीक है?
मां शैलपुत्री को प्राकृतिक माता के रूप में माना गया. साथ ही उनसे मानवीय समझदारी और आध्यात्मिक जागरूकता के लिए प्रार्थना की जाती है. मां शैलपुत्री को आध्यात्मिक जगत में महत्वपूर्ण स्थान मिलता है, और वे प्राकृतिक शक्ति की प्रतीक हैं, जो समृद्धि, शांति, और सुख देती है.
आज की महिला में मां शैलपुत्री की झलक
आदिशक्ति की प्रतीक मां शैलपुत्री भारतीय महिलाओं के गुणों की भी प्रतीक (women empowerment) हैं. समाज और देश में समृद्धि और शांति के लिए महिलाओं की भूमिका में उनकी झलक साफ़ दिखाई देती है. वे परिपूर्ण, सहनशील, और समर्थ हैं, इसी तरह समाज में आज की महिला भी उनके गुणों को दर्शाती है. मां शैलपुत्री की पूजा हमें महिलाओं के महत्व को समझने और मान्यता देने का अवसर प्रदान करती है, और आज की भारतीय महिलाएं उनकी प्रेरणा से आगे बढ़ रही हैं. प्रकृति की रक्षा और संरक्षण भी मां शैलपुत्री का सन्देश है. मां शैलपुत्री के माध्यम से हम अपनी आत्मिक जागरूकता की ओर कदम बढ़ाते हैं.