आपने ज़रूर सुना होगा कि लड़कियां जल्दी बड़ी हो जाती हैं. पहले ऐसा मज़ाक में कहा जाता था, पर अब सच में भी लड़कियां उम्र से पहले बड़ी हो रही हैं. एक उम्र के बाद लड़कियों के शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं, जिसे प्यूबर्टी कहते हैं. ये बदलाव लड़कियों में 11 साल से 13 साल की उम्र में होते हैं. आजकल ये बदलाव 11 साल से पहले ही होने लगे हैं. कई बार तो 7-8 साल में ही बच्चियों में प्यूबर्टी की शुरुआत होने लगती है. इसे ही अर्ली प्यूबर्टी (early puberty) या प्रीकोशियस प्यूबर्टी (precocious puberty) कहा जाता है. कम उम्र में प्यूबर्टी की शुरुआत होने की वजह से लड़कियां पीरियड्स के लिए मेंटली रूप से तैयार नहीं होती. जिसकी वजह से पीरियड्स को लेकर घबराहट, डर, झिझक, और तनाव बढ़ जाता है.
फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया (FOGSI) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि शहरी भारत में लड़कियों की प्यूबर्टी की उम्र कम हो गई है. यह पाया गया कि शहरों में 80% लड़कियां पहले की तुलना में दो साल पहले युवावस्था में पहुंच रही हैं. आज, तीन में से एक बच्ची जल्दी प्यूबर्टी का अनुभव कर रही है. समय से पहले बड़ा होना माता-पिता और बाल रोग विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन गया है. जिसकी वजह खाने में मिलावट और अनहेल्थी लाइफस्टाइल बताई जा रही है.
BPA, प्लास्टिक के बक्सों में पाया जाने वाला एक रसायन है जो खाने के डिब्बे की लाइनिंग, डेंटल सीलेंट, पानी की बोतलें और दूसरे कंटेनर में पाया जाता है. ये रसायन खाने के ज़रिये हमारे शरीर के अंदरघुस जाते हैं. कई रिसर्च ने साबित किया है कि ये BPA लड़कियों में अर्ली प्यूबर्टी कि एक बड़ी वजह है. जंक फूड बचपन में मोटापे के सबसे बड़े कारणों में से एक है. पशु वसा की उच्च मात्रा इंसुलिन जैसी वृद्धि कारक या IGF-1 को बढ़ाती है, जिससे युवावस्था का विकास जल्दी होने लगता है.
बच्चों में युवावस्था की शुरुआत के लिए समाज और मीडिया भी जिम्मेदार हैं. टीवी, मोबाइल पर बहुत अधिक हिंसा या एडल्ट कंटेंट देखने से बच्चों के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है, ख़ासकर पिट्यूटरी ग्रंथि पर. स्टिमुलेट होने पर सेक्स हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से अर्ली पुबर्टी होने के अवसर दुगने हो जाते हैं. कई स्टडी ने बताया कि प्यूबर्टी जल्दी शुरू होने की वजह तनाव भी होती है. तनाव की वजह से कई बार लड़कियों को पीरियड्स जल्दी शुरू हो जाते हैं. इसके अलावा, मांस और डेयरी उद्योग जानवरों में उनके तेजी से विकास के लिए हार्मोन इंजेक्ट करते हैं. ऐसे मांस और डेयरी के सेवन से ये हॉर्मोन हमारी बॉडी में पहुंचते हैं और ग्रोथ के प्रोसेस पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
ज़रूरी है कि ऐसे में बच्चों को हरी सब्जियां और ताज़े फल दिए जाए. अर्ली प्यूबर्टी होने पर डॉक्टर से सलाह लें और जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाने पर तनाव दूर करने के लिए काउंसलिंग की मदद भी ली जा सकती है.