इकोनॉमिक सर्वे ने पहले चकराया फिर समझाया....

2023 का इकोनॉमिक सर्वे देश के SHGs को उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है. 2022 आकड़ों के अनुसार 67 लाख SHGs के मध्यम से 14 करोड़ घरों को आर्थिक स्वतंत्रता दिलवाई और साथ ही 47 करोड़ की बचत की. इन SHGs को लेकर क्या हुई इकोनॉमिक सर्वे में घोषणा, आइये जानते हैं...

author-image
रविवार ब्यूरो
एडिट
New Update
economic survey

Image Credits: Google Images

हम में से बहुत कम ऐसे लोग होंगे जो शौक से फाइनेंस की दुनिया की खबरों को देखते या सुनते होंगे. हां शेयर, बैंकिंग जैसे कामों से जुड़े हुए हों तो बात अलग है. फाइनेंस के सब्जेक्ट और मुझ में भी उतनी ही दूरी थी जितनी समुद्र और चांद के बीच.

लेकिन यह दूरी तब कम हुई जब हाल ही में हर तरफ से कानों में बजट , फाइनेंस की गूंज थी और आंखों के सामने टीवी , अख़बार , सोशल मीडिया कामोबेश हर जगह पर भारत को मिली G - 20 की अध्यक्षता की चर्चा थी. ऐसा लगा जैसे G -20 के एजेंडा से देश महिला आर्थिक सशक्तिकरण की तरफ कदम बढ़ा रहा है. अब बात वूमेन एंपावरमेंट की थी तो मैने सोचा क्यों न मैं भी फाइनेंशियल टर्म्स को जान लूं. तो मैंने शुरू किया बजट से पहले आए इकोनॉमिक सर्वे को पढ़ना.इकोनॉमिक सर्वे 2022-23 को पढ़कर यह अहसास हुआ कि  उसमें महिला सशक्तिकरण, फाइनेंशियल शिक्षा और खासतौर पर SHG का ज़िक्र बार- बार आ रहा है.

जैसे इकोनॉमिक सर्वे में यह बताया गया की कैसे SHG बैंक लिंकेज प्रोजेक्ट (SHG - BLP) जो 1992 में शुरू हुआ आज दुनिया का सबसे बड़ा माइक्रोफाइनेंस प्रॉजेक्ट बना. पर आख़िर यह इकोनॉमिक सर्वे होता क्या है ? मुझे तो लगा था कि सरकार कोई सर्वे करवाती होगी , जिसे इकनॉमिक सर्वे कहा जाता है. 

लेकिन और रिसर्च करने पर यह मालूम पड़ा कि यह सर्वे कोई मामूली सा कागज़ात में लिखा कोई लेखा जोखा  नहीं हैं.बल्कि इन शब्दों में भारत की आर्थिक उन्नति की नीव हैं. इकनोमिक सर्वे  में देश की आर्थिक स्थिति और GDP का विश्लेषण होता है.इसमें  पिछले 1 साल में हुए आर्थिक विकास के साथ कृषि , उत्पादन ,रोज़गार ,निर्यात-आयात के सेक्टर्स में आए ट्रेंड्स का भी उल्लेख होता है। इकनोमिक सर्वे का लक्ष्य सरकार की नीतियों का अध्ययन करना  और ज़रूरत पढ़ने पर सुझाव देना होता है। फिर इस सर्वे से इकट्ठा  हुई जानकारी को एक दस्तावेज़ में लिखकर बजट से एक दिन पहले पार्लियामेंट में  प्रस्तुत किया जाता है। इकनोमिक सर्वे बजट में उल्लेख की गयी सरकार की नीतियों को समझने में मदद करता है.

तो हम बात कर रहे थे इस साल के इकनॉमिक सर्वे यानी इकोनॉमिक सर्वे 2022 - 23 की. इस साल महिला आत्मनिर्भरता के सवाल पर SHG को जवाब के रूप में इसलिए  देखा गया क्योंकि आज देश में 81 लाख SHGs है जिनकी 88 % महिला सदस्य हैं. 31st  मार्च 2022 आकड़ों के अनुसार जहां 67 लाख SHGs की कोलैटरल फ्री लोन 1 करोड़ 51 लाख थी वही इन SHGs के मध्यम से 14 करोड़ घरों को आर्थिक स्वतंत्रता दिलवाई और साथ ही करी 47 करोड़ 240 लाख रूपये की बचत. पिछले 10 वर्षों में इन SHGs को मिली आर्थिक सहायता ने SHG क्रेडिट लिंक्ड की CAGR दर को 10.8 % से बढ़ाया और साथ ही बनाया  96 % SHGs को समय पर लोन भुगतान करने में सक्षम.

SHG के इस सशक्तिकरण ने बैंको का विश्वास तो जीता ही लेकिन पूर्व-बजट सर्वेक्षण के ज़रिये सरकार भी अब ग्रामीण विकास के लिए SHG को महत्वपूर्ण ज़रिए के रूप में देखती है. इसकी वजह है SHGs का कोरोना काल में तत्परता से समाज के लिए कार्य करना.4 जनवरी 2023 के आंकड़ों के अनुसार DAY - NRLM  के तहत देशभर के SHGs  ने 16. 9 करोड़ मास्क तैयार किये . लेकिन ये SHGs केवल एक गतिविधि तक सिमित नहीं थे. झारखण्ड की पत्रकार दीदी  ने जहां  लोगों के बीच जागरुकता फैलाई, वहीँ  उत्तर प्रदेश के प्रेरणा कैंटीन ने  देश में लगे लॉकडाउन के बीच कम्युनिटी किचन चलाया. पशु सखी  ने घायल पशुओं के लिए खोल दिए थे अपने शटर वही बैंक सखी ने फाइनेंशियल सर्विसेज  देकर करी थी लोगों की मदद। अलग- अलग कार्यों में लगी इन SHGs ने उस वक़्त बस 1 ही मक़सद के लिए काम किया था : जो थी इंसानियत.

इतना ही नहीं ,इकनोमिक सर्वे द्वारा SHGs में लास्ट-माइल कनेक्टिविटी , समुदायों में विश्वास बनाने और स्थानीय जरूरतों के अनुसार आर्थिक गतिविधियां उत्पन्न करने की क्षमता को नोट किया गया .इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि किस तरह से ग्रामीण महिलाओं में इन SHGs से जुड़ने के बाद आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. ये महिलाएँ आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के साथ ही आत्मविश्वास के साथ अपनी ज़िन्दगी की कमान संभाल रही हैं.

ग्रामीण महिलाओं के जूनून को श्रेय देते हुए इकनोमिक सर्वे सरकार द्वारा माइक्रोफिनांस प्रोजेक्ट को लेकर की गई  पहल के बारे में भी लिखा गया है. सरकार द्वारा शुरू की गई  DAY -NRLM मिशन आज गरीब तबके से आईं 8.7 करोड़  महिलाओं को 81 लाख SHGs  के माध्यम से रोज़गार प्रदान कर रहा है . 4 लाख महिलाओं को कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के तौर पर प्रशिक्षण दे रहा है. अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे इ - कॉमर्स दिग्गजों को पीछे छोड़ने वाली गवर्नमेंट की  'इ-मार्केटप्लेस' प्लेटफार्म SHG प्रोडक्ट्स को अपने प्लेटफार्म के ज़रिये एक्सपोज़र भी दे रहा है .

साल 2021 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने  ‘मिशन 1 लाख’ को लांच किया था जिसके तहत साल 2024  तक SHGs से जुडी हर एक महिला की वार्षिक आय को बढाकर 1 लाख कर दिया जाएगा. SHGs के आगे के गेम प्लान को मद्देनज़र रखते हुए इकनोमिक सर्वे ने थोड़ी बातों पर ज़ोर दिया. उनके अनुसार SHGs को ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका देने से पहले अंतर-क्षेत्रीय असमानता को संबोधित करना होगा. SHG की महिलाओं को माइक्रो एन्ट्रप्रेन्योर्स बनाने के लिए और उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की कीमत को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं के कौशल विकास पर भी ध्यान देना होगा.

देश के छोटे से छोटे गांवों और कस्बों से आई  ग्रामीण महिलाएं देश के रफ़्तार से बढ़ती अर्थव्यवस्था में भागीदार बन रही हैं.इसलिए  2023 का  इकनोमिक सर्वे देश के SHGs को उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है. आज माइक्रोफिनांस  प्रोजेक्ट की यह सफलता भले ही शुरुआत ही क्यों न हो, लेकिन एक बात तो तय है...... कि ये पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त !

economic survey (Image Credits: Google Images)

SHG इकोनॉमिक सर्वे ग्रामीण महिला फाइनेंस बजट