महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का सबसे अहम पहलु महिलाओं की आर्थिक आज़ादी (financial freedom) है. फाइनेंशियल इन्क्लूशन (financial inclusion) की मदद से महिलाओं को आर्थिक मज़बूती मिल सकेगी और वो आत्मनिर्भर बन पाएंगी. फाइनेंशियल इन्क्लूशन को बढ़ावा देने और वित्तीय लेन देन को आसान बनाने के लिए सरकार ने डीबीटी प्लेटफार्म (DBT- Direct Bank Transfer) की शुरुआत की. इसकी मदद से सरकार ने सामाजिक कल्याण योजनाओं (Social Welfare schemes) के तहत मिलने वाली राशि का भुगतान सीधे लाभार्थियों के खातों में किया. इससे वित्तीय समावेशन (financial inclusion) में बढ़ोतरी हुई, ज़्यादा लोगों तक लाभ आसानी से पहुंचा और पारदर्शिता (transparency) में सुधार हुआ.
G20 के महिला सशक्तिकरण के लक्ष्यों में से एक फाइनेंशियल इन्क्लूशन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने सरकार-से-व्यक्ति (G2P Government to person) भुगतान तरीके को अपनाया. डीबीटी की वजह से 2013 और 2022 के बीच 2.73 ट्रिलियन रुपये की बचत हुई है. पेंशन, सब्सिडी और वेतन से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, आवास और सरकार की लगभग सभी कल्याणकारी योजनाओं को कवर किया है.
G2P भुगतान प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाओं (developing economies) में महिलाओं के सशक्तिकरण को गति देता है. G2P औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके, आर्थिक मज़बूती देकर और पैसे से जुड़ी स्वायत्तता (autonomy) बढ़ाकर फाइनेंशियल इन्क्लूशन को बढ़ावा देता है. G2P भुगतान चोरी और हानि के जोखिम को कम करके सुरक्षा बढ़ाता है. बैंकिंग सुविधाओं के लिए दूर जाने और लम्बी कतार में लगने की परेशानी को ख़त्म करके सुविधा बढ़ाता है. ये डिजिटल भुगतान रिसाव और भ्रष्टाचार को कम करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाओं को उनके हकदार लाभ आसानी से मिल सकें. इसके अलावा, G2P भुगतान के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम को भी जोड़ा जा सकता है, जिससे महिलाओं की आर्थिक लेन देन से जुड़ी समझ बढ़ सकेगी जिससे वे सही निर्णय लेने में सक्षम बनेंगी. G2P भुगतान महिलाओं की आर्थिक भलाई और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देता है.
कुछ बाधाओं की वजह से महिलाओं को G2P का फायदा नहीं मिल पाता. स्मार्ट फ़ोन और तकनीक तक सीमित पहुंच, महिलाओं के बीच कम वित्तीय साक्षरता स्तर, सांस्कृतिक और सामाजिक बाधाएं, डिजिटल समझ की कमी और इंटरनेट पहुंच में लैंगिक अंतर जैसी चुनौतियां बाधा बने हुए हैं. इन बाधाओं को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान, कैपेसिटी बिल्डिंग, नीति में सुधार और सरकारों, वित्तीय संस्थानों और तकनीकी सेवा देने वालो के बीच सहयोग बढ़ाना होगा.
यह अनुमान लगाया गया है कि 2022 में ग्लोबल GDP का लगभग 60 % डिजिटल टेक्नोलॉजी (digital technology) पर निर्भर था और इसके और बढ़ने की संभावना है. ऐसे में, जो लोग डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने में असमर्थ हैं वे पिछड़ सकते हैं, खासकर महिलाएं. डिजिटल G2P भुगतान महिलाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में लाने का सबसे कारगर रास्ता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से ग्लोबल GDP में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हो सकती है. प्रगतिशील देशों को ज़रुरत है ऐसी योजनाएं बनाने की जिससे महिलाओं की फाइनेंशियल लिट्रेसी में बढ़ोतरी हो, वे फाइनेंशियल इन्क्लूशन का लक्ष्य हासिल कर सकें, और महिला सशक्तिकरण का टारगेट पूरा हो सके.