भारतीय समाज एक पुरुष प्रधान समाज है. कानून, शिक्षा, धर्म, परंपराओं, और संस्थाओं के ज़रिये पितृसत्ता की जड़ों को मज़बूती दी जाती है. साहित्य समाज को आइना दिखाता है. सही-ग़लत के बीच, साहित्य असलियत दिखाकर, पाठक को समाज में मौजूद असमानता पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर करता है. कुछ इसी तरह के साहित्यकार है विक्रम सेठ (Vikram Seth). वे एक जाने-माने भारतीय लेखक हैं जिन्हें उनकी बहुआयामी लेखन शैली और संवेदनशीलता के लिए पढ़ा जाता है. वह अपने वर्ल्ड फेमस उपन्यास 'अ सुटेबल ब्वॉय' (A Suitable Boy) से पहचाने जाते है.
'अ सुटेबल ब्वॉय' की कहानी मुख्य रूप से पुरुष पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है. सेठ ने अपने लेखों में कई प्रभावशाली महिला पात्रों को जगह दी है, जो उनकी साहित्यिक दुनिया की गहराई और विविधता को बढ़ाते हैं. ये महिला पात्र सेठ के साहित्यिक ब्रह्मांड में समाज की जटिलता को दिखाते हैं. कई तरह के व्यक्तित्व, अनुभव और संघर्ष को दिखाते हुए ये महिला पात्र सामाजिक व्यवस्था पर तंज कसती हैं.
विक्रम सेठ के महिला किरदार:
लता मेहरा - 'अ सुटेबल ब्वॉय'
लता मेहरा (Lata Mehra) विक्रम सेठ की सबसे यादगार महिला किरदारों में से एक हैं. 'अ सुटेबल ब्वॉय' की मुख्य किरदार के रूप में, लता सामाजिक अपेक्षाओं की अवहेलना करती है और अपनी आज़ादी और एजेंसी से कभी समझौता नहीं करती. स्वतंत्रता के बाद के भारत में सेट, उपन्यास लता की आत्म-खोज की यात्रा दिखाती है. लता विवाहों और पारिवारिक दायित्वों के जटिल वेब से नेविगेट करती है. लता पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को चुनौती देती हैं और अपनी ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए अपनी इच्छाओं के आधार पर फैसले लेती है.
सविता कपूर - 'अ सुटेबल ब्वॉय'
सविता कपूर (Savita Kapoor) लता की भाभी हैं और 'अ सुटेबल ब्वॉय' की महत्वपूर्ण महिला किरदार है. सविता का चरित्र लता के चरित्र से बिल्कुल विपरीत है. उन्हें एक पारंपरिक महिला के रूप में चित्रित किया गया है जो सामाजिक मानदंडों का पालन करती है और एक पत्नी और मां के रूप में अपनी भूमिका निभाती है. सविता के चरित्र के ज़रिये, सेठ उन महिलाओं के संघर्षों को सामने लाते है जो पारंपरिक उम्मीदों पर खरी उतरने के लिए बलिदान देती हैं.
मीनाक्षी कपूर - 'एन इक्वल म्यूजिक'
'एन इक्वल म्यूजिक' (an equal music) वायलिन वादक माइकल और पियानो वादक जूलिया की कहानी है, जो एक लंबे अलगाव के बाद फिर से मिलते हैं. मीनाक्षी कपूर (Minakshi Kapoor), जूलिया की बहन, कहानी में अहम भूमिका निभाती है. मीनाक्षी सुन नहीं सकती, और उसका चित्रण विकलांग व्यक्तियों को चित्रित करने में सेठ की संवेदनशीलता को दर्शाता है. मीनाक्षी की ताकत, समझदारी, और उसकी बहन के लिए प्यार, उसके चरित्र की गहराई को दिखाता है.
सुमन मेहता - 'टू लाइव्स'
एक संस्मरण-आधारित उपन्यास 'टू लाइव्स' (Two Lives) में, विक्रम सेठ अपने चाचा शांति और उनकी जर्मन-यहूदी पत्नी, हेनी की कहानी बताते है. सुमन मेहता (Suman Mehta), शांति की बहन, एक अहम किरदार है जो नाज़ी जर्मनी में उसके लिए सहायता का ज़रिया बनती है. सुमन का चरित्र करुणा, बहादुरी और समझदारी का प्रतीक है, जो पारिवारिक बंधनों के प्रभाव और परेशानियों की स्थिति में महिलाओं की ताकत को दिखाता है.
प्राण नाथ राजदान - 'अ सुटेबल ब्वॉय'
प्राण नाथ राजदान का ट्रांसजेंडर किरदार, महिला पात्रों के जेंडर रोल्स पर तंज कसता है. प्राण नाथ की लैंगिक पहचान स्त्रीत्व की पारंपरिक परिभाषाओं के परे है. उसके अनुभव और चुनौतियां भारतीय समाज में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली जटिलताओं पर प्रकाश डालती हैं. सेठ की मां लीला सेठ दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला जज और पहली महिला चीफ जस्टिस बनी. उन्होंने विक्रम की बाइसेक्शुअलिटी को स्वीकारा. सेठ का प्राण नाथ को शामिल करना विविध आवाजों को अपने लेख में जगह देने और सामाजिक मानदंडों को तोड़ने की उनकी कोशिश को दर्शाता है.
विक्रम सेठ की रचनाओं मेंकी कहानियों में, महिला पात्र केवल मनोरंजन के लिए नहीं हैं; वे कई तरह की भूमिकाएं निभाती हैं और अक्सर पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं और रूढ़ियों को चुनौती देती हैं. सेठ के महिला किरदार पाठकों को महिलाओं के विविध अनुभवों, उनके विचारों, और समाज में उनके अनदेखे योगदान को दिखाते है. अपनी रचनाओं के ज़रिये, सेठ मानव अस्तित्व में लैंगिक भूमिकाओं (gender roles) की जटिलता को जस का तस सामने लाते है.