भारत सरकार (Government of India) समावेशी विकास (इन्क्लूसिव ग्रोथ- Inclusive Growth) पर जोर दे रही है. समावेशी विकास के तहत नीतियों के पुनर्गठन पर विचार किया जा रहा है और गरीबी को कम करने और समाज को बांटने वाले कारकों पर ध्यान देकर उन्हें दूर करने की कोशिश हो रही है. समावेशी विकास हासिल करने के लिए, जन केंद्रित और गरीबी वर्ग का समर्थक करने वाली मैक्रो नीतियों पर ज़ोर देना होगा. समावेशी विकास हासिल करना आर्थिक विकास (financial development) दर को बढ़ाने से कहीं ज़्यदा मुश्किल है. सार्वजनिक नीति (social policy) को 'समावेशी' (inclusive) क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी होगी ताकि समाज में एकतरफा विकास से बचा जा सके.
वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूशन-financial inclusion) समावेशी विकास की दिशा में एक ज़रूरी कदम है. फाइनेंस, विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करता है. भारतीय उत्तर पूर्वी (नॉर्थ ईस्ट-North East) क्षेत्र में वित्तीय समावेशन लागू करने की ज़रुरत है. वित्तीय समावेशन का मतलब है कि सभी व्यक्तियों को वित्तीय सेवाओं (financial services) तक पहुंच मिले, खासकर वे जो ग्रामीण और दूर-दराज़ इलाकों में बसे हुए हैं. इसका मकसद है कि लोग बैंकिंग, ऋण, और बीमा जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकें.
मार्च 2023 में केवल 3 % बैंक नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में हैं, जिनमें से लगभग 63 % बैंक असम में, 8 % मेघालय में और 4 % नागालैंड में हैं. देश के राज्यों में बैंक संख्या में काफी भिन्नता है. देश के बाकी राज्यों की तुलना में नॉर्थ ईस्ट में काफी कम बैंक अकाउंट है.
नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में कई लोग वित्तीय सेवाओं के बुनियादी फायदों से काफी दूर हैं. जिसकी वजह से उनके आर्थिक विकास और प्रगति में बाधा पैदा होती है. वित्तीय समावेशन को हासिल करने में कई चुनौतियां हैं, जैसे कि जनसंख्या के बढ़ने से भूगोलीय बाधाएं, संचार सुविधाओं की कमी, और वित्तीय जागरूकता और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी. उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति (socio-economic condition) में सुधार तभी मुमकिन हो सकेगा जब वित्तीय समावेशन पर ध्यान दिया जाये. यह उन्हें पैसे बचाने, निवेश करने और व्यापार की संभावनाओं का फायदा उठाने में मदद करेगा.
इस दिशा में सरकार और वित्तीय संस्थान ध्यान देते हुए कई कदम उठा रहे हैं, जैसे नए बैंक शाखाओं की स्थापना, माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं की स्थापना, मोबाइल बैंकिंग सेवाओं को बढ़ाना, और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों का आयोजन कर जादगरूकता फैलाना. वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए, हमें उन लोगों पर ध्यान देना होगा जो वित्तीय सेवाओं का उपयोग करना चाहते हैं, लेकिन सेवाओं तक पहुंच नहीं है. सेवाओं से दूरी होने और उचित बुनियादी ढांचे की कमी से भी फाइनेंशियल इन्क्लूशन में बाधा आती है.
वित्त तक पहुंच कमज़ोर समूहों को सशक्त बनाएगी. इसके लिए लोगों, खासकर महिलाओं और वंचित समूहों के बैंक खाता खोलने, बचत करने, निवेश करने, बीमा कराने, और लोन लेने जैसी सुविधाओं के अवसर बढ़ाना होंगे.