जेंडर इक्वालिटी (Gender Equality), जेंडर पेरिटी (Gender Parity), जेंडर एम्पावरमेंट (Gender Empowerment) कि बातें तो सभी करते है पर इनके इम्प्लीमेंटेशन में कहीं ना कहीं कमी रह ही जाती हैं. इस तरह जेंडर फाइनेंस गैप (Gender Finance Gap) भी विश्व स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन उस पर काम कितना हो रहा है, यह सोचने का विषय है. महिलाएं जहां साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Science and Technology), मेडिसिन (Medicine) जैसे क्षेत्रों में आगे तो बढ़ रही, लेकिन कामयाबी के यह रास्ते आज भी उनके लिए आसान नहीं है, जहां कई सेक्टर्स में समान अवसर नहीं मिलते तो अधिकतर क्षेत्रों में समान वेतन भी उन्हें नहीं मिल रहे.
जेंडर डायनामिक्स जहां समय के साथ थोड़े बहुत बदलते रहते हैं वही फाइनेंशियल संस्थानों (Financial Institutions) में जेंडर इक्वालिटी कैटेलिस्ट (Catalyst) या बैरोमीटर (Barometer) अभी भी निचले स्तर पर है. यह जेंडर बेस्ड फाइनेंस गैप तभी खत्म हो सकता हैं जब महिलाओं को वित्तीय सेवाएं (Financial Services) जैसे बचत, लोन (Loan), बिमा (Insurance),और वित्तीय संस्थानों के बारे में पूरा ज्ञान हो और उनकी भागीदारी इनमें बढ़ाई जाए .
फाइनेंशियल संस्थानों में महिलाओं के बिज़नेस जो की मुख्यतः SME (स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज) होते है उन्हें बिज़नेस की कम समझ और स्मॉल बिज़नेस नेटवर्क होने के कारण, वह फाइनेंशियल सेवाओं का पूरा फायदा नहीं उठा पाती. इसी वजह से वह अपने बिज़नेस को आगे नहीं ले जा पा रही है. महिला उघमों को पुरुषों के मुकाबले बैंक खाते (Bank Account) रखने और फाइनेंशियल इंस्टीटूशन्स से लोन लेने में कम दरों में ब्याज की सुविधा प्रदान की जाती है लेकिन महिलाओं के पास पर्याप्त फाइनेंशियल ज्ञान ना होने के कारण वह इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाती. यही वजह है कि महिला उद्यमियों को आज भी वर्किंग कैपिटल (Working Capital) का पूरा उपयोग और बिज़नेस लोन (Business Loan) लेने जैसे कामों में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. फाइनेंस के मसलों से दूरी धीरे धीरे डर और हिचक के रूप में सामने आती है, जिस वजह से फॉर्मल फैनेसियल इंस्टीटूशन्स (Formal Financial Institutions)तक उनकी पहुँच कम होती है.
महिलाओं के बिज़नेस में निवेश करने के पॉजिटिव प्रभाव हो सकते हैं, जैसे महिलाओं के लिए नई नौकरियों के रास्ते खुलेंगे, जेंडर इनक्वॉलिटी कम होगी और महिलाओं का ओवरऑल डेवलॅपमेंट होगा. भारत में सरकार ने महिला उघमों को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों को CLF लोन लेने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे आज भारत दुनिया में सबसे बड़ा SHG बैंक लिंकेज मॉडल बन गया है, जिसमें 11 मिलियन से अधिक SHG बैंकिंग सेवाओं से जुड़े है. लोन की सुविधा मिलने से स्वयं सहायता समूहो में अलग अलग कार्य हो रहे हैं जैसे सिलाई, मशरुम कि खेती, अगरत्ती बनाना आदि. समूह की महिलाएं जो घर से बाहर भी नहीं निकलती थी आज वही महिलाएं बैंक सखी (Bank Sakhi), ऊर्जा देवी (Urja Devi) जैसे कार्य संभाल रही हैं. लोन की मदद से आज समूह की महिलाओं ने अपने ही घर में सिलाई सेंटर शुरू कर लिया हैं. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आ रहा हैं.
जेंडर फाइनेंस गैप के खत्म करने के लिए कई उपाय किये जा सकते है जैसे महिला स्वामित्य वाले SME (Small Medium Enterprises) की जरूरतों को पूरा करने वाले इनोवेटिव सेवाओं और उत्पादों को ला कर, सही प्रशिक्षण देकर, वरिष्ठ बैंकिंग भूमिकाओं और बोर्ड में महिलाओं को शामिल कर , व्यवसाय में महिलाओं के लिए एक सहायक नेटवर्क बनाने के लिए फाइनेंसियल तथा नॉन फाइनेंसियल संस्थानों के साथ सहयोग कर. इन उपायों को लागु करके हम G20 और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्था महिलाओं के जेंडर एम्पावरमेंट को आगे बढ़ाकर और अधिक इंक्लूसिव इकोनॉमिक विकास प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है.