महिलाओं की आर्थिक क्रांति का सहयोगी बना HDFC का SLI

HDFC बैंक का नाम आपने सुना होगा. ये बैंक अपने SLI डिपार्टमेंट के तहत कई महिलाओं को आर्थिक आज़ादी के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद कर रहा है. व्यावसायिक प्रशिक्षण, फाइनेंशियल ट्रेनिंग, बीमा और क्रेडिट सुविधाएं देकर महिलाओं को आर्थिक क्रांति से जोड़ा.

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HDFC CSR

Image Credits: HDFC

आज पूरे भारत में महिलाओं की फाइनेंशियल लिट्रेसी की सुगबुगाहट है. महिलाओं की आर्थिक आज़ादी की पहली सीढ़ी ही फाइनेंशियल लिट्रेसी है. सरकार, बैंकों और संस्थाओं ने इसके लिए कदम उठाये और SHG का सहारा बनी. बैंकिंग इंस्टीट्यूशन इसको आगे बढ़ा सकते है. HDFC बैंक का नाम आपने सुना होगा. ये बैंक अपने सस्टेनेबल लाइवलीहुड इनिशिएटिव (SLI) डिपार्टमेंट के तहत कई महिलाओं को आर्थिक आज़ादी के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद कर रहा है.    

ये सस्टेनेबल लाइवलीहुड इनिशिएटिव (SLI) बिना बैंक वाले इलाकों में रह रही महिलाओं तक पहुंचता है. व्यावसायिक प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता (फाइनेंशियल ट्रेनिंग), बीमा और क्रेडिट सुविधाएं देकर ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को आर्थिक क्रांति से जोड़ा. ये महिलाएं आसान क्रेडिट पाकर साहूकारों से बचीं और अपना रोज़गार शुरू किया. पैसो की समझ, व्यवसाय का मैनेजमेंट, और बचत के गुण ट्रेनिंग में सीख अपना पैसा खुद कमाया और संभाला. 

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नूनमती, असम की अनिमा सिल अपने गांव में कढ़ाई का एक छोटा सा व्यवसाय चला रही थीं. HDFC बैंक ने उन्हें अपने बिज़नेस को बढ़ाने और पैसों का हिसाब किताब करने की ट्रेनिंग दी और स्वसहायता समूह बनाकर कई महिलाओं को उनसे जोड़ा. अब अनिमा सिर्फ खेती पर निर्भर नहीं है . वे अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा कर पा रही है. ऐसे ही राउरकेला, ओडिशा की सरोजिनी प्रधान ने अपने पति के गुज़र जाने के बाद परिवार को सहारा देने के लिए रोज़गार तलाशा. उन्हें आर्टिफिशल आभूषण बनाने आते थे. SLI की मदद से उन्होंने लोन लेकर आभूषण बनाने का सामान खरीदा और छोटी दुकानों पर बेचना शुरू किया. अब वो अपने पैरों पर खड़ी है और दूसरी महिलाओं के लिए उम्मीद भरा उदाहरण है. 

कर्नाटक के शिवपुत्र पूरी तरह से 6 एकड़ ज़मीन की खेती पर निर्भर थे. कम बारिश की वजह से बोरवेल पूरी तरह सूख गया और उम्मीद टूट गई. असफल होकर उन्होंने हैदराबाद जाकर मज़दूरी करने की ठान ली. अपनी किस्मत आज़माते हुए उन्होंने SLI की एक योजना से जुड़ने का सोचा. उनकी भूमि के एक क्रॉस सेक्शन को बांध बनाने के लिए चुना गया और एक वर्मीकम्पोस्टिंग पिट बनाने के लिए सहायता भी मिली. उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट की मदद से अपनी उपज में 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ की बढ़ोतरी की. इससे उन्होंने 4 लाख रुपय कमाए. 

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SLI ने ज़मीनी स्तर पर काम कर कोने-कोने में फाइनेंशियल लिट्रेसी पहुंचाने के लिए कई अवार्ड जीते जैसे- पोर्टर पुरस्कार 2017, गोल्डन पीकॉक अवार्ड 2018, ET BFSI अवार्ड्स 2018 और राष्ट्रीय सीएसआर पुरस्कार 2019, एशियामनी बेस्ट बैंक अवार्ड्स 2022. 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अभी तक 1 करोड़ 48 लाख लोगों को SLI से जोड़ा गया. ऐसी बेहतर की तरफ ले जाती बदलाव की कहानियां हर राज्य में मिल जाएंगी. HDFC SLI की ये पहल लोगों की सिर्फ़ मदद नहीं करती पर उन्हें आत्मनिर्भर बना कर अपनी मदद खुद कर पाने के क़ाबिल बनती है. इसी तरह अगर समाज के प्रतिष्ठित संस्थान महिलाओं की सहायता करेंगे तो आर्थिक क्रांति को देशभर के हर कोने और हर तबके की महिला तक पहुंचाया जा सकता है.   

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