G-20 देशों में महिला लीडर्स की चुनौतियां

महिलाओं के रोज़गार, श्रम बल भागीदारी, वर्कप्लेस सेफ्टी,और रिटायरमेंट जैसे मुद्दों पर चर्चा कर नीतियां बनाई जा रही है. सभी G-20 देशों की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति अलग है, जिसकी वजह से हर देश की अपनी चुनौती है.

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मिस्बाह
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Image Credits: The Hans India

ग्रुप ऑफ ट्वेंटी या G-20 ने महिलाओं की आर्थिक आज़ादी के मुद्दे को ग्लोबल प्लेटफॉर्म दिया है. सदस्य देश साथ मिलकर इस विषय पर प्लानिंग और ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने का काम कर रहे है. महिलाओं के रोज़गार, श्रम बल भागीदारी, वर्कप्लेस सेफ्टी,और रिटायरमेंट जैसे मुद्दों पर चर्चा कर नीतियां बनाई जा रही है. सभी G-20 देशों की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति अलग है, जिसकी वजह से हर देश की अपनी चुनौती है.

G-20 सदस्य देशों में शामिल भारत, जर्मनी, मैक्सिको, रूस और सऊदी अरब के इंडस्ट्रियल स्थिति को समझते है और इन देशों में महिलाओं के लीडर बनने के सफर में आने वाली चुनौतियों को समझते हैं -

इंडिया 

मास्टरकार्ड इंडेक्स ऑफ वीमेन एन्त्रेप्रेंयूर्स 2021 ने भारत को 65 देशों में 57वें स्थान पर रखा. रिपोर्ट के अनुसार, जब देश में महिला उद्यमी होने की बात आती है, तो भारत अपने साथियों से काफी पीछे है. लैंगिक भेद-भाव और सांस्कृतिक बंदिशें महिलाओं को उद्यमी बनने से रोकती  हैं. फंड की कमी, कॉम्पिटिशन का डर, या बराबरी के अवसर न मिलने पर वे अपने छोटे बिज़नेस का विस्तार नहीं कर पाती. इस दिशा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए भारत को उच्च शिक्षा के अवसर और महिला उद्यमियों की वित्तीय संसाधनों तक पहुंच को बढ़ाना होगा, सिंगल विंडो क्लीयरेंस, टैक्स ब्रेक जैसे उपाय भी लागू करने होंगे. कम आय वाले वर्ग की महिलाएं SHG के ज़रिये न केवल आर्थिक आज़ादी, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लक्ष्य को भी पूरा कर रही हैं. दूसरे विकासशील देश भी SHG के ज़रिये महिलाओं की आर्थिक क्रांति को बढ़ावा दे सकते हैं. 

सऊदी अरब

कई सालों तक, दुनियाभर में महिला कार्यबल भागीदारी की सबसे कम दर सऊदी अरब में थी. 2018 में, केवल 19.7% सऊदी महिलाएं वर्कफोर्स का हिस्सा थीं. 2011 से पहले, महिलाओं को कई व्यवसायों में काम करने की अनुमति नहीं थी और उन्हें यात्रा करने, काम करने या शादी करने के लिए पुरुष अभिभावक से अनुमति लेनी पड़ती थी. पिछले कुछ सालों में, सऊदी सरकार ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई नई पहलों की शुरुआत की. सऊदी अरब सरकार के अनुसार, 2022 में काम करने वाली महिलाओं की संख्या "राज्य के इतिहास में सबसे ज़्यादा" हो गई. 2016 में लॉन्च हुई विजन 2030 योजना का लक्ष्य सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था की तेल निर्यात पर निर्भरता कम करना और सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों को बढ़ावा देना है. जिसके लिए ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को वर्क फाॅर्स में शामिल करना है. एमएचआरडी ने प्रेस रिलीस में बताया कि मार्च 2022 में 27.7% सऊदी महिलाएं शिक्षा क्षेत्र में और 17.7% खुदरा और थोक क्षेत्रों में काम कर रही थीं. ये दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां महिलाओं की भागीदारी को आसानी से बढ़ाया जा सकता है. 

रूस 

फेडरल स्टेट स्टैटिस्टिकल एजेंसी के अनुसार,2020 में 47.5% रूसी महिलाएं कार्यबल का हिस्सा थीं. पुरुषों की तुलना में शिक्षा का स्तर ज़्यादा होने के बावजूद, रूसी महिलाओं के निम्न-स्तर और कम-वेतन वाली नौकरियों में काम करने की संभावना ज़्यादा है. वे पुरुषों की तुलना में औसतन लगभग 30% कम पैसा कमाती हैं. इसकी वजह लैंगिक भेदभाव है. जुलाई 2019 में, रूसी सरकार ने नीतियों में बदलाव किये, जिसने महिलाओं के लिए 350 से ज़्यादा नौकरियों के रास्ते खोले. 2021 से, महिलाओं को ट्रक और ट्रेन ड्राइवर के रूप में काम करने के साथ-साथ नौसेना में सेवा करने की अनुमति दी गई. पहले 456 काम महिलाओं के लिए वर्जित थे, उनमें से अब केवल 100 ही पुरुषों के लिए सीमित किये गए हैं. 

एविटो जॉब्स के एक शोध ने बताया कि, अधिकांश रूसी पुरुष और महिलाएं अभी भी पारंपरिक रूप से "महिला" या "पुरुष" व्यवसायों को तलाशते हैं और पुरुषों के तुलना में महिलाएं अभी भी कम वेतन की अपेक्षा रखती हैं. अनुमान लगाया जा रहा हैं कि जागरूकता बढ़ने के साथ सामाजिक बदलाव देखा जा सकेगा. 

जर्मनी 

जर्मनी में महिलाओं में उद्यमशीलता हाल के वर्षों में लगातार बढ़ रही है, हालांकि व्यापार जगत में लैंगिक समानता के मामले में अभी भी सुधार की गुंजाइश है. जर्मन स्टार्टअप मॉनिटर के अनुसार, जर्मनी में महिला फाउंडर्स की संख्या 20% तक बढ़ गई है, और 37% संस्थापक टीमों में कम से कम एक महिला ज़रूर शामिल है, लेकिन वे काफी कम प्रतिनिधित्व करती हैं. महिलाओं के व्यवसायों को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि फंडिंग तक सीमित पहुंच और लीडरशिप वाले पदों पर प्रतिनिधित्व की कमी. फेडरल मनिस्ट्री ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स और फेडरल मनिस्ट्री ऑफ फेमिली अफेयर्स के ज़रिये, जर्मन सरकार महिला उद्यमियों के लिए धन के साथ-साथ बिज़नेस शुरू करने के लिए सहायता करता है. जर्मन एसोसिएशन ऑफ वूमेन एंटरप्रेन्योर्स जैसे कई गैर-लाभकारी संगठन व्यवसाय में महिलाओं के लिए प्रशिक्षण, सलाह और नेटवर्किंग में सहायता देने का काम करते हैं. इन सभी पहलों के ज़रिये बिज़नेस ट्रेंड में बदलाव आ रहा है. 

मैक्सिको

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड जियोग्राफी के अनुसार, मेक्सिको में महिलाओं के व्यवसायों की संख्या में 27% की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, अभी भी 45% पुरुषों की तुलना में, मेक्सिको में सिर्फ 29% महिला उद्यमियों की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच है. महिला उद्यमिता का समर्थन करने के लिए, मैक्सिकन सरकार ने दो कार्यक्रम शुरू किए: महिला उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम और महिला उद्यमियों के लिए सहायता कार्यक्रम. दोनों कार्यक्रमों को मैक्सिको में महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को शुरू करने ,उनके विकास और संसाधनों तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इनके ज़रिये 65 हज़ार महिला उद्यमियों को मार्केटिंग, फाइनेंस और मैनेजमेंट में ट्रेनिंग दी है. आगे और भी महिलाओं को बिज़नेस की दुनिया में आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रयास जारी हैं, जिससे इन आंकड़ों में बदलाव आ सकेगा. 

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