सोलर एनर्जी से मुनाफ़ा डबल

सौर ऊर्जा की वजह से डेयरी का मासिक बिजली बिल घटकर 5,000 रुपये रह गया, जो पहले के मुकाबले काफी कम था. इसका मतलब था कि महिलाएं अब ज़्यादा दूध बेचकर अपनी आय दोगुनी कर सकती हैं क्योंकि वे अब बचे हुए दूध को रेफ्रिजरेटर में रख सकती हैं.

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मिस्बाह
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सुबह 9 बजे, तापमान करीब 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. राजस्थान (Rajasthan) में दूनी डेयरी सहकारी समिति (Dooni dairy cooperative ) में लाड देवी और उनकी सहकर्मी आसपास के खेतों से आने वाले दूध को जल्दी से तौलने और रेफ्रिजरेटर (Refrigerator) में रखने का काम कर रही हैं. रेफ्रिजरेटर के बिना यह राजस्थान की भीषण गर्मी में कुछ ही घंटों में खराब हो सकता है. कुछ साल पहले की बात करें, तो इन महिलाओं का अपने घरों से बाहर निकल काम करना नामुमकिन लगता था. दशकों की प्रगति के बावजूद राजस्थान में महिला साक्षरता दर अभी भी पुरुषों की तुलना में पीछे है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केवल 65 % महिलाएं ही पढ़ और लिख पाती हैं. राज्य में चार में से एक लड़की की शादी 18 साल की कानूनी उम्र से पहले हो जाती है. अपने रूढ़िवादी समाज के नियमों को मानते हुए, ये महिलाएं सर ढांकके और चेहरा छुपा कर बाहर निकलती थी. अब तो काम करते वक़्त इनकी आवाज़ में जोश और चेहरे पर आत्मविश्वास झलकता है. 

इन महिलाओं के जीवन में साल 2014 के बाद से ये बदलाव आया, जब वे सहकारी डेयरी बनाने के लिए एक साथ आईं. स्थानीय परंपरा के अनुसार हर महिला के पास शादी के समय दहेज में मिली गाय और भैंसें थी. बचा हुआ दूध जो उनका परिवार इस्तेमाल नहीं करता, उसे बेच कर वे पैसे कमा लिया करती. पैसे कमाने की चाह उन्हें साथ लाई. सबसे बड़ी चुनौती थी- मेहेंगी बिजली, जिससे उनके मुनाफे में कटौती हो रही थी और दूध को ठंडा रखना मुश्किल हो रहा था. बार-बार बिजली गुल होने से दूध खराब हो जाता और उसे फेंकना पड़ता. 2021 में सौर ऊर्जा (Solar energy) से चलने वाले रेफ्रिजरेटर मिलने से ये परेशानी दूर हुई और आमदनी बढ़ने लगी. 

सौर ऊर्जा की वजह से डेयरी का मासिक बिजली बिल (electricity bill) घटकर 5,000 रुपये रह गया, जो पहले के मुकाबले काफी कम था. इसका मतलब था कि महिलाएं अब ज़्यादा दूध बेचकर अपनी आय दोगुनी कर सकती हैं क्योंकि वे अब बचे हुए दूध को रेफ्रिजरेटर में रख सकती हैं. हर महिला  एक दिन में लगभग 400 रुपये कमाने लगी. खुद के पैसे कमाने से महिलाओं की सामाजिक स्थिति में भी बदलाव आया और आर्थिक आज़ादी ने उनके कई रुके हुए काम और सपने पूरे करवाये. 

“इससे पहले, अगर मुझे बाहर जाना होता, तो मुझे अपने पति के पैसे देने का इंतज़ार करना पड़ता. अब मेरे पास मेरे पैसे है,” तीन बच्चों की 45 वर्षीय मां देवी ने बताया. "मैं अनपढ़ हूं, लेकिन आज मुझमें इतना आत्मविश्वास है कि मैं किसी भी आदमी से बेझिझक बात कर सकती हूं और जो लोग बाहर से मेरे गांव में आते हैं, उनसे भी बात कर सकती हूं." 

इन महिलाओं से प्रेरित होकर, कई ग्रामीणों ने लगभग 1,500 रुपये की लागत से सोलर लैंप खरीदना और सोलर पैनल लगवाना शुरू कर दिया है जिससे एक पंखा चलाने, मोबाइल फोन चार्ज करने और बल्ब चलाने के लिए पर्याप्त मजबूत सौर पैनल स्थापित कर रहे हैं. कई महिलाओं का कहना है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए डेयरी की आय का इस्तेमाल कर रही हैं.

भारत पहले से ही सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है, और पर्यावरण और आर्थिक वजहों से कोयले जैसे फॉसिल फ्यूल  पर लंबे समय से निर्भरता को दूर करने के लिए सौर ऊर्जा तक पहुंच बढ़ा रहा है. 2030 तक, भारत का लक्ष्य सौर ऊर्जा जैसे नये स्रोतों से अपनी 50% ऊर्जा संबंधित ज़रूरतों को पूरा करना है, जिनमें से ज़्यादातर ज़रूरतें सौर ऊर्जा से पूरी करने का लक्ष्य है. सरकार सौर-संचालित जल पंपों के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन भी दे रही है और छोटे उद्यमों के लिए रेफ्रिजरेटर सहित ऑफ-ग्रिड सौर उपकरणों के इस्तेमाल  को बढ़ावा दे रही है. हाल के वर्षों में, 7 लाख से ज़्यादा सौर ऊर्जा संचालित वॉटर पंप की शुरुआत की है, जिसका अर्थ है कि महिलाओं को अब पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी. सौर प्रकाश से मोमबत्तियों और मिट्टी के तेल के लालटेन को खत्म करना संभव हो सका  है, जिनके जहरीले धुएं का महिलाओं और बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता था. बिजली से चलने वाली रोटी बनाने वाली मशीन से लेकर सौर ऊर्जा से चलने वाले रेफ्रिजरेटर तक श्रम बचाने वाले उपकरणों ने घर के कामकाज को आसान बना दिया है और साथ ही रोज़गार शुरू करने वाले कामों की नई संभावनाएं खोल दी हैं.

देशभर में चलने वाले स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups-SHG) ने सोलर एनर्जी की मांग को बढ़ाया है. ये महिलाएं अपने छोटे बिज़नेस को सपोर्ट करने के लिए सस्ते विकल्पों की ओर कदम बढ़ा रही हैं. इन महिलाओं को सोलर एनर्जी से फायदा मिलता देख गांव के और लोग भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों को ज़रिया बना सकती है.  इससे इन महिलाओं की आमदनी बढ़ सकेगी और, ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ा कर प्राकृतिक संरक्षण में मदद मिलेगी. 

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