SHG के साथ जनजाति सिकल सेल फ्री

सिकल सेल एनीमिया में, लाल रक्त कोशिकाएं गोल के बजाय दरांती (सिकल) के आकर की  हो जातीं है, जिससे वे चिपचिपी और कठोर हो जाती हैं. ये असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं को ब्लॉक कर देती हैं, जिससे गंभीर दर्द, अंग क्षति और दूसरी परेशानियां होने लगती है.

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रिसिका जोशी
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sickle cell

Image Credits: mpinfo.org

फसल काटने के लिए काम में आने वाली दरांती को अंग्रेजी में सिकल कहते है. अब यह एक बिमारी का नाम भी हो सकता है यह आश्चर्यजनक है. अमरीका और अफ्रीका जैसे देश में कॉमन यह बीमारी हमारे जनजातीय इलाकों में भी पायी जाती है. यह है 'सिकल सेल एनीमिया', और वंशानुगत तौर पर होने वाली इस बीमारी में कुछ लाल रक्त कोशिकाएं फसल को काटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दरांती की तरह दिखती हैं. बस इन्हीं असामान्य आकार की कोशिकाएं रोग को उसका नाम देती हैं. सिकल सेल एनीमिया वंशानुगत विकारों के समूह में से एक है, जिसे 'सिकल सेल एनीमिया' कहा जाता है.

सिकल सेल एनीमिया एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जो कि लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को प्रभावित करता है. हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के बाकी हिस्सों में ले जाता है. सिकल सेल एनीमिया में, लाल रक्त कोशिकाएं गोल के बजाय दरांती (सिकल) के आकर की  हो जातीं है, जिससे वे चिपचिपी और कठोर हो जाती हैं. ये असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं को ब्लॉक कर देती हैं, जिससे गंभीर दर्द, अंग क्षति और दूसरी परेशानियां होने लगती है. सिकल सेल एनीमिया जीन में म्युटेशन के कारण होता है, जो हीमोग्लोबिन के बनने को रोकने लगता है. यह एक ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर है, जिसका अर्थ है कि यह स्थिति किसी भी व्यक्ति में तभी पैदा होगी जब उसे डिफेक्टिव जीन की 2 कॉपीज़ मिली हो.

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भारत में यह बीमारी जनजातीय इलाकों में पाई जाती है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड और गुजरात जैसे राज्यों में यह डिसऑर्डर जनजातीय आबादी में अधिक है. 2015 में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि मध्य प्रदेश की कोरकू जनजाति में 45% और सहरिया जनजाति में 20% और गुजरात की भील जनजाति में 22.7%, है. इस अध्ययन से साफ़ है की मध्य प्रदेश सिकल सेल ऐनिमिआ के केसेस सबसे ज़्यादा पाए जाते है.  
 
मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल भी अनुसूचित जनजाति एवं आम जनता में सिकल सेल एनीमिया के प्रति जागरूकता लाने की पूरी कोशिश कर रहे है. उन्होंने अनुसूचित जनजातियों के लिए देवास जिले के पुंजापुरा में सिकल सेल एनीमिया स्वास्थ्य शिविर में इसके बारें में जानकारी ली और जागरूकता फ़ैलाने का काम किया. उन्होंने बताया -  "सिकल सेल एनीमिया से बचाव के लिए आम जनता को जागरूक करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. इस बीमारी से निजात पाने के लिए जरूरी है कि युवक-युवतियां शादी से पहले खून की जांच कराकर बच्चों में इस बीमारी को फैलने से रोकने की पहल करें. अगर दोनों में रोग के लक्षण दिखे तो शादी ना करें और हर तरह के नशे से दूर रहें." राज्यपाल पटेल ने देवास के ग्राम बरझाई में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं एवं ग्रामीणों से बातचीत की. उन्होंने लोगों को अपील की कि वे नशे से दूर रहे. उन्होंने महिलाओं से कहा -  "परिवार की सुख-समृद्धि में महिलाओं का योगदान अमूल्य है. अपने बच्चों को शिक्षित कर उनके बेहतर भविष्य का निर्माण करें."

मध्य प्रदेश में अनेक स्वयं सहायता समूह  'सिकल सेल एनीमिया' की रोकथाम को बढ़ावा देने, जागरूकता बढ़ाने, और सहायता प्रदान करने के प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. ऐसा ही एक उदाहरण, 'सिकल सेल एनीमिया कंट्रोल सोसाइटी' है, जो सिकल सेल एनीमिया के मुद्दे को सबके सामने रखने के लिए मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदायों द्वारा शुरू किया गया एक संगठन है. यह SHG बीमारी के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों, शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं. वे सिकल सेल लक्षण और बीमारी वाले व्यक्तियों की पहचान करने के लिए स्क्रीनिंग कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं और प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवारों को परामर्श और सहायता प्रदान करते हैं. स्वयं सहायता समूह सिकल सेल एनीमिया से जुड़ी जटिलताओं को रोकने के लिए नियमित व्यायाम, अच्छा और संतुलित आहार और हाइड्रेटेड रहने के साथ स्वस्थ रहने के अन्य तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भी काम करते हैं. वे सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित लोगों के लिए 'ब्लड ट्रंस्फुशन' और 'बोन मैरो ट्रांसप्लांट' जैसे इलाजों में सहायता देने का काम कर रहे है.

बीमारी चाहे जितनी भी जटिल क्यों न हो, अगर सब साथ जुड़ जाए तो उसे हराना बिलकुल मुश्किल नहीं है. स्वयं सहायता समूहों ने आज तक बहुत से ऐसे काम कर के दिखाएं है जो दूसरों को नामुमकिन लगते होंगे. हां समय लगेगा लेकिन सिकल सेल ऐनिमिआ को हराना अगर लक्ष्य बना ले तो, स्वयं सहायता समूह और हमारी सरकार के प्रयासों से इस काम को करना आसान हो जाएगा.

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