भारत में MSME यानि मीडियम, स्मॉल, माइक्रो इंटरप्राइजेज को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई पॉलिसीज़ और परियोजनाएं लॉन्च करती रहती है. आत्मनिर्भर भारत अभियान (Self Reliant India Campaign) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पहल है, जिसे आगे बढ़ाने में वे हर संभव प्रयास कर रहे है. MSME बिज़नेस, जो कि कसी भी देश की इकॉनमी की बैकबोन कहलाते है, को ही बढ़ावा दिया जाता है इस अभियान की स्कीम्स के तहत. जो भी समूह, ऑर्गनाइज़ेशन या व्यक्ति अपना बिज़नेस (MSME) शुरू करता है, सरकार की स्कीम्स के मुताबिक उसे फाईनांशियल मदद के साथ बिज़नेस बढ़ाने में भी मदद मिलती है.
सिर्फ ये ही नहीं भारत सरकार की ओर से व्यक्तियों को बिज़नेस शुरू करने के लिए भी ट्रेनिंग दी जाती है. यह सेटअप प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) के तहत किया गया है. ग्रामीण से लेकर शहरी स्तर तक, इस स्कीम के तहत एम्प्लॉयमेंट अवसर तैयार किये जाते है. क्रेडिट्स के लिए फ्री लोन्स क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फण्ड फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज (CGTMSE), फाइनेंसियल सपोर्ट टू MSMEs इन ज़ेड सर्टिफिकेशन स्कीम आदि स्कीम्स के मुताबिक दिए जाते है.
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भारत सरकार यह जानती है कि देश का विकास ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, खासकर महिलाओं के साथ ही संभव है. इसीलिए सरकार का प्रयास रहता है, कि वे अपनी हर स्कीम से देश की महिलाओं को जोड़े. अपने पैरों पर खड़ा होना, गांव हो या शहर, हर महिला के लिए बेहद ज़रूरी है. शहरों में तो फिर भी महिलाएँ स्वावलम्बी है, और आगे बढ़ रही है. लेकिन आज भी गांव के हालात में सुधार नहीं है. बदलाव आया है, लेकिन यह देश को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए काफी नहीं होगा. सरकार यह बात समझती है और गांव की महिलाओं की लिए भरसक प्रयास कर रही है.
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चाहे उनको सुविधाएं प्रदान करने की बात हो, या उनके बिज़नेस तैयार करवाने के बात, सरकार की हर स्कीम में महिलाओं का विकास शामिल होता है. प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) के तहत महिला उद्यमियों द्वारा 1.38 लाख परियोजनाएं स्थापित की गई हैं. सिर्फ MSME ही नहीं, भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा की दिशा में भी कई कदम उठाए हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्टैंड अप इंडिया, मिशन इंद्रधनुष, मुद्रा योजना स्कीम, ट्रेड (व्यापार संबंधित उद्यमिता सहायता और विकास) योजना, महिला उद्यम निधि योजना, अन्नपूर्णा योजना, महिला उद्यमियों के लिए स्त्री शक्ति पैकेज, भारतीय महिला बिजनेस बैंक ऋण जैसी पहल , देना शक्ति योजना, उद्योगिनी योजना, सेंट कल्याणी योजना और कई अन्य ने भारत में महिला आबादी के कल्याण में योगदान दिया है.
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2018 पर MSME मंत्रालय ने 'उद्यम सखी' लॉन्च किया, जो कम लागत वाले उत्पादों और सेवाओं के इर्द-गिर्द घूमने वाले व्यवसाय मॉडल बनाने वाले सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला एक नेटवर्क है. पोर्टल लगभग 8 मिलियन भारतीय महिलाओं की जरूरतों को पूरा करता है, जिन्होंने बिज़नेस सीखने के उपकरण, पैसे जुटाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, सलाहकार प्रदान करना, एक-पर-एक निवेशक बैठक, बाजार सर्वेक्षण सुविधा प्रदान करना आदि के लिए अपने मंच के माध्यम से खुद का व्यवसाय शुरू किया है या चला रही हैं. यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत सरकार घर की चारदीवारी के बाहर महिलाओं की भूमिका में क्रांतिकारी बदलाव लाने में लगातार लगी हुई है.
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गांव में स्वयं सहायता समूह (SHG) सरकार की स्कीम्स के तहत बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे है. इन समूहों में गांव की महिलाएं एक साथ आकर कुछ पैसे ऐसे जोड़कर अपना बिज़नेस शुरू करती है. सरकार ने Self Help Groups को आगे बढ़ाने के लिए भी कई स्कीम्स और प्लान्स शुरू कर रखे है, जिनके तहत ग्रामीण महिलाएं बिज़नेस, छोटी दुकानें, और ऐसे ही बहुत से काम शुरू कर अपने परिवारों का सहारा बनी हुई है.
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने आजादी का अमृत महोत्सव समग्र विकास के हिस्से के रूप में "संगठन से समृद्धि - किसी ग्रामीण महिला को पीछे न छोड़ना" अभियान शुरू किया. इस अभियान के तहत सरकार का उद्देश्य हर ग्रामीण महिला को समूह से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का है. उन्होंने कहा- "मुझे खुशी है कि आजादी के 75 साल पूरे होने के जश्न के अवसर पर, हम पहले से ही SHG आंदोलन का हिस्सा 9 करोड़ महिलाओं में से 1 करोड़ अतिरिक्त महिलाओं को एकजुट करने के लिए यह "संगठन से समृद्धि" अभियान शुरू कर रहे हैं."
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SHG से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही है और स्वावलम्बी बन रही है. गांव की किसी महिला को अगर अपना बिज़नेस या कोई काम शुरू करना हो, तो भी वे SHG से लोन लेकर अपना काम शुरू करती है. रविवार विचार ने ऐसी बहुत सी कहानियां सामने लाए है, जहां महिला SHG के साथ जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हो. जिस तरह से महिलाएं आगे बढ़ रही है, देश की उन्नति भी तेज हो गयी है. महिला इन समूहों के साथ जुड़कर ज़्यादातर माइक्रो बिज़नेस ही शुरू करतीं है.
केंद्र सरकार ने गांवों में नए उद्यमों और नौकरियों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए एक नई क्रेडिट योजना शुरू की है. योजना पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना के तहत, SHG सदस्य बिज़नेस में किसी भी प्रायर एक्सपीरियन्स के बिना लोन प्राप्त कर सकते हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा, “उद्यम वित्तपोषण योजना महिलाओं के लिए अधिक व्यावसायिक अवसर पैदा करेगी. रिजल्ट में, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रोजगार पैदा होगा क्योंकि उद्यमियों को अपना व्यवसाय चलाने के लिए लोगों की भी आवश्यकता होगी."
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सरकार की यह पहल महिलाओं के लिए बहुत बड़ा कदम साबित हो रही है. देश का विकास महिलाओं की उन्नति के साथ ही तय है. जितनी तेजी से महिलाएं आगे बढ़ेंगी, देश उसी स्तर से डेवेलप होगा. आजकल महिलाएं जोखिम उठाती हैं, अपनी सोच पर भरोसा करती हैं और इससे कम पर समझौता नहीं करतीं. भारत सरकार की MSME स्कीम्स के तहत SHG महिलाओं को जोड़ना बहुत बड़ा कदम होगा, जिससे बदलाव तय है.