RBI में महिला गवर्नर का न होना, उनकी आर्थिक आज़ादी पर प्रश्न

अगर बात, भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की करे, तो 1935 से आज तक 25 गवर्नरों में से एक भी गवर्नर महिला नहीं रही. बस, तीन महिला डिप्टी गवर्नर थीं. अभी तक 63 डिप्टी गवर्नर्स में से केवल तीन महिला डिप्टी गवर्नर रही.

author-image
मिस्बाह
New Update
RBi

Image Credits: Google Images

सरकार, मीडिया, संस्थाएं - महिलाओं की आर्थिक आज़ादी की बात हर जगह है. आज भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार होता भी नज़र आ रहा है. पर अभी इस मुहीम को कई और चुनौतियों को पार करना बाकी है. स्वयं सहायता समूहों की बदौलत आज महिलाएं अपने घरों से निकल खुद का रोज़गार शुरू तो कर पा रही हैं, लेकिन अभी उन्हें फाइनेंस की दुनिया में पकड़ जमाना बाकी है. वर्ल्ड इकनॉमिक फॉरम की एक रिपोर्ट ने बताया कि भारत की 100 बड़ी कंपनियों में सिर्फ 14% बोर्ड सीटें महिलाओं के पास हैं और बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) लिस्टेड 500 कंपनियों में केवल 3.6% सीईओ महिलाएं हैं. 

अगर बात, भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की करे, तो 1935 से आज तक 25 गवर्नरों में से एक भी गवर्नर महिला नहीं रही. बस, तीन महिला डिप्टी गवर्नर थीं. अभी तक 63 डिप्टी गवर्नर्स में से केवल तीन महिला डिप्टी गवर्नर रही जिनके नाम हैं - के जे उदेशी, श्यामला गोपीनाथ, और उषा थोराट. ऐतिहासिक रूप से, महिलाओं को भारत में नेतृत्व के पदों पर कम प्रतिनिधित्व दिया गया. नेतृत्व की भूमिकाओं में लैंगिक अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन प्रगति की रफ़्तार अभी भी धीमी है. आज भी उच्च शिक्षा तक पहुंच न होना, रूढ़िवादिता होना, और लैंगिक भेदभाव आर्थिक और सामाजिक प्रगति की चुनौतियां हैं. जिससे महिलाओं के RBI गवर्नर बनने के लिए आवश्यक अनुभव और योग्यता हासिल करने के अवसर कम हो जाते हैं.

पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को आम तौर पर प्राथमिक कमाने वाला और निर्णय लेने वाला माना गया . इन सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों, परम्परों और अपेक्षाओं के वजह से महिलाओं के लिए फाइनेंस और बैंकिंग जैसी पुरुष-प्रधान जगहों में प्रवेश करना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा, RBI गवर्नर जैसी बड़ी पोज़िशन की मांगों को पूरा करने के लिए अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को बैलेंस करना मुश्किल हो जाता है जिससे योग्य महिला उम्मीदवारों की लिस्ट छोटी हो जाती है. RBI गवर्नर की नियुक्ति भारत की केंद्र सरकार करती है. इसलिए, RBI के 88 वर्षों में महिला गवर्नर का न होना सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों पर प्रश्न चिन्ह लगता है. RBI गवर्नर की नियुक्ति कई मानदंडों पर आधारित है, जिसमें अनुभव, विशेषज्ञता और योग्यताएं शामिल हैं. मानदंडों की इस सूची में लिंग कारक नहीं होना चाहिए.

मैनेजीरियल पोसिशन्स पर महिलाओं की भागीदारी कम होने की वजह से जेंडर बैलेंस इंडेक्स 2022 में RBI की रैंकिंग पर भी असर डाला. प्रमुख प्रबंधकीय पदों पर कम महिला भागीदारी ने जेंडर 12 (जीबीआई) 2022 में आरबीआई की रैंकिंग को भी प्रभावित किया है, RBI को 159 में से 149 रैंक पर रखा गया. केवल चीन और कोरिया के केंद्रीय बैंकों को RBI के नीचे रखा.  

इन आंकड़ों  में बदलाव लाने के लिए मज़बूत कदम उठाने की ज़रुरत है. सरकारी नीतियों में बदलाव, कंपनियों के वर्कफोर्स और टॉप पोसिशन्स पर महिलाओं का आरक्षण, और सामाजिक बदलाव कुछ तरीके हो सकते हैं. सरकार, संस्था, समाज और परिवार को तेज़ी से प्रगति करती डिजिटल एज के हिसाब से अपने नज़रियों को बदलना होगा. 'बदलाव ही प्रकृति का नियम है.' सिर्फ एक कहावत नहीं, पर हमारे प्लान का हिस्सा और गोल भी होना चाहिए.   

RBI महिला गवर्नर केंद्र सरकार के जे उदेशी श्यामला गोपीनाथ उषा थोराट केंद्रीय बैंक