तुम्हारे 'वो वाले दिन' चल रहे हैं… कुछ दिन किचन में मत जाना... मंदिर मत जाना... खाना मत बनाना... और ना जाने क्या क्या सुना हैं हर उस लड़की ने जिसके पीरियड्स चल रहे होते हैं. घर में माँ ही सीखा देती हैं, बेटा जब तक तुम्हारे दिन चले तब तक सबसे थोड़ा अलग रहना और इस बारें में किसे से बात करने के भी कोई ज़रूरत नहीं हैं. एक लड़की यह सब सुनकर बड़ी होती हैं, और किसी से सवाल भी नहीं पूछ पाती कि 'अगर पीरियड्स भगवान ने ही दिए हैं तो मैं सबसे अलग कैसे हुई?” एक लड़की को उसके ही घर में अलग कर दिया जाता हैं. खाना बनाना तो दूर की बात हैं, उसे किचन में आने तक नहीं दिया जाता. कहते हैं कि इन दिनों में लड़किया अशुद्ध हो जाती हैं, और घर में किचन साफ़ रखना ज़रूरी हैं. यह बात कितनी बेढंगी हैं, इस बात का अंदाजा हर लड़की को हैं लेकिन वह कुछ बोल नहीं सकती.
एक गैर सरकारी संघठन (NGO) 'Sachhi Saheli' ने इस सोच को पूरी तरह तोड़ने का फैलसा कर लिया हैं. IndusInd Bank के सहयोग से इस NGO ने ‘Period Fest और Pad Rally’ का आयोजन किया जिसमें Connaught Place के Central Park में ‘Menstrual Health and Awareness Day’ में दिल्ली सरकार और NDMC स्कूलों के सैकड़ों छात्रों, शिक्षकों, और दूसरे मेहमान शामिल हुए. पूरे Connaught Place में ‘Period Positivity’ के नारों के साथ पैदल मार्च निकला गया. डॉ सुरभि सिंह ने बताया- "सच्ची सहेली के माध्यम से वह पिछले कई वर्षों से इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहीं हैं. इस कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक, डांस, म्युजिक और अन्य माध्यमों से पीरियड्स को लेकर जागरुकता लाने का प्रयास किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में ‘Miss World’ Manushi Chhillar भी भाग ले चुकी हैं.
'Sacchi Saheli ' ने एक महाभोज रखा जहां उन्होंने उन महिलाओं से खाना बनवाया जिनके पीरियड्स चल रहे थे. स्वामी कृष्णस्वरूप दासजी में एक स्टेटमेंट में में माहवारी के वक़्त लड़कियों के खाना बनाने पर बहुत ही अभद्र बात कही. इसी बात को सिरे से खारिज और चैलेंज करते हुए इन महिलाओं ने पीरियड्स के वक़्त खाना बनाया और 300 लोगों को खिलाया. इस अवसर पर दिल्ली के Deputy Chief Minister Manish Sisodia ने भी आकर इन महिलाओं के हाथ का खाना खाया और खूब तारीफ़ भी की. इन महिलाओं ने "I am a proud menstruating women" इस logo के एप्रन पहन के खनन बनाया. इस तरह की पहल करना बहुत ज़रूरी हैं उन लोगो के लिए जो पीरियड्स को अभिशाप समझते हैं. जब बात की जाएगी तभी जागरूकता आएगी, और इसीलिए हर लड़की और महिला को भी बिना डरे यह बोलना आना चाहिए कि, "हां मेरे पीरियड्स चल रहे हैं."