दुनिया में ऐसे लोगों की ज़रूरत सबसे ज़्यादा रहती है जो खुद के साथ सबकी सोचें. इनकी संख्या भले ही कम हो, लेकिन उनके इरादे और काम इतने बड़े है कि वो मिसाल बन जाते है. ऐसी ही मिसाल है, स्वयं सहायता समूह.
हमारे देश में इस वक्त 82,76,129 स्वयं सहायता समूह है , जो कि देश के हर कोने में आर्थिक आज़ादी और फाइनेंशियल लिटेरिसी का परचम लहरा रहे है. कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल से गुजरात तक एक भी ऐसा राज्य नहीं है जहां SHG महिलाएं दिन रात मेहनत नहीं कर रही. ये कहना गलत नहीं है कि इन महिलाओं ने आज एक ऐसी उम्मीद कि किरण जलाई है जिसमें भारत को बदलने की ताकत है.
इस वक्त देश में सबसे ज़्यादा SHGs बिहार (10,54,925) में है. SHG की संख्या के हिसाब से दूसरा और तीसरा नंबर आता है, बंगाल (10,51,407) और आंध्र प्रदेश (8,53,122) का. मध्यप्रदेश (4,31,962), राजस्थान (2,53 219), उत्तर प्रदेश (6,97,068), में भी SHGs की संख्या लाखों में है. कुल 8,95,18,109 महिलाएं स्वयं सहायता से जुडी हैं। सबसे अधिक 1,22,00,889 महिलाएं बिहार राज्य में हैं.
हालांकि इन राज्यों के SHG का प्रतिशत यहाँ की आबादी के मुकाबले काफी कम है. जैसे यू .पी. (आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य ) में SHG का अनुपात आबादी का 0.28% प्रतिशत है. म. प्र.की आबादी का 0.5 % और राजस्थान की आबादी का 0.3 %. ग्रामीण महिलाओं के जनसंख्या के अनुपात को भी अलग करके देखा जाए तब भी यह प्रतिशत काफी कम है. SHG की संख्या के हिसाब से सबसे बड़े राज्य बिहार में SHG का प्रतिशत 0.6 % है जो की बाकि सभी राज्यों से कुछ ही ज़्यादा है. और जब बिहार, मध्यप्रदेश या राजस्थान की ग्रामीण पृष्ठभूमि देखें तो यह निम्न स्तर पर है. लद्दाख, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल, और हरियाणा में तो संख्या की स्थिति और भी खराब है.
ग्रामीण महिला जनसंख्या और SHG से जुड़ने में इस बड़े अंतर की कई वजह है. भारत में स्वयं सहायता समूहों की संख्या के पीछे कई कारण है उनमें से आर्थिक विकास, सरकार की नीतियां, सामाजिक स्थिति और मान्यताएं . ऐसा हर राज्य जहां SHG की संख्या 5 लाख से ऊपर है, वहां सामाजिक भागीदारी और चेतना ज़्यादा है.
बिहार राज्य सरकार ने SHG के लिए बिहार रूरल लिवेलीहुड्स प्रमोशन सोसाइटी (BRLPS), या 'जीविका' जैसी पहल की. यह महिलाओं को SHG से जोड़ कर अपना काम शुरू करने के लिए आर्थिक और तकनीकी मदद करती है.
इसी तरह बंगाल में भी सरकार ने 'आनंदधारा स्कीम' और 'बांग्ला स्वनिर्भर कर्मसंस्थान प्रकल्प' जैसे कार्यक्रम चलाए जो की महिलाओं को आर्थिक, तकनिकी, और भी कई तरह की ट्रेनिंग देतीं है.
इस तरह मध्यप्रदेश की सरकार ने भी काफी योजनाएं चलाई जिससे मध्य प्रदेश में SHGs की संख्या में बढ़ोतरी आई . मध्यप्रदेश में आज तक़रीबन 4,31,962 SHG काम कर रहे है और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. इसका कारण मध्यप्रदेश सरकार का बैंकों द्वारा कम ब्याज दर रखवाना और कई तरह के प्रोत्साहन महिला स्वयं सहायता समूहों को दिए जाना है. साथ ही उन्हें दी जाने वाली सहायता सीमा 300 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2100 करोड़ रुपये कर दी गयी है. इस से SHG महिलाओं को भारी ब्याज के जाल से छुटकारा पाने में बहुत मदद मिली. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने SHG को अपने आत्मनिर्भर म प्र 2023 के विज़न में सबसे ऊपर रखा है. सरकार, बैंक, और कॉर्पोरेट के इस तरह के प्रयास SHG की संख्या और स्वरुप को लगातार बढ़ाने में मददगार साबित होंगे.