भारत के विकास की राह पर आगे बढ़ने के साथ, महिलाओं पर जो समाजिक और सांस्कृतिक पाबंदियां लगी हुई थी वो कुछ कमज़ोर तो हुई है. लेकिन यह बस परिवर्तन की शुरुआत है और आगे बहुत कुछ करने की ज़रुरत है. महिलाएं , आज अपनी आजादी के बारे में कुछ जागरूक हुई हैं लेकिन पितृसत्ता के खिलाफ लड़ाई लम्बी है. महिला अधिकारों , सशक्तिकरण और नारीवाद के बारें में बहुत कुछ बोलै और करा जा रहा है.
इन सबके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों या ग्रामीण परिवेश से आने वाली ऐसी कई महिलाएं भी है जिनके साथ ऐसा नहीं है. उनकी स्थिति तो ऐसी है की शिक्षा , स्वस्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं है. इसी वजह से या तो पिता या पति पर ही निर्भर है. आर्थिक रूप से आज़ाद होने की कोशिश करने वाली कुछ महिलाओं को सामाजिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा, इस प्रकार उत्पीड़न और अधीनता की बेड़ियों से कभी बाहर नहीं निकल पायी. इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति उनके पारिवारिक सामाजिक सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा थी.
खुद का कुछ काम करना ही एकमात्र आज़ादी का रास्ता था जिसके वो सपने देखती थी लेकिन उसके लिए बैंक से लोन नहीं मिलते थे और भी कई तरह की बाधाएं थी. इन्ही मुश्किलों का सामना करने के लिए स्वयं सहायता समूहों (SHG) का गठन हुआ. SHG समुदाय या इलाके में 10-20 स्थानीय महिलाओं के द्वारा गठित छोटे स्वैच्छिक महिला समूह हैं. SHG ज्यादातर अपने सदस्यों को वित्तीय स्वतंत्रता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान केंद्रित करते है. इस प्रकार यह न केवल उनकी आय में वृद्धि करते है बल्कि समाज में उनकी स्थिति में भी सुधार करते है. एसएचजी की शुरुआत के साथ महिलाओं में बेरोजगारी की समस्याओं का भी समाधान किया गया. इस पहल ने महिलाओं को उनके महत्व और क्षमता के बारे में संवेदनशील बनाते हुए, उन्हें सशक्त बनाया है. माइक्रो लोन्स के साथ महिलाओं को खुद का काम शुरू करने में भी मदद मिली.
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अपनी आजीविका (खपत, व्यय और बचत पैटर्न) पर SHG के प्रभाव पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि SHG द्वारा सहायता प्राप्त 10% महिलाओं के लगातार बचत करने की संभावना अधिक थी, इस प्रकार आर्थिक सशक्तिकरण की मजबूती के लिए स्वयं सहायता समूह ज़रूरी है.
बिना कुछ गिरवी रखे (विदआउट कोलेट्रल ) और कम ब्याज पर माइक्रो लोन स्वयं सहायता समूहों का मूल है. समाज में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं के सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण साधन है. भले ही स्वयं सहायता समूह को वित्तीय स्वतंत्रता के उद्देश्य से शुरू किया गया था, लेकिन समाज में आज नारीवाद , महिलाओं की स्थिति में सुधार, परिवार का विकास ; सबकुछ SHG से जुड़ गया है . SHG समय के साथ विकसित हो रहे हैं, वे अपने पंख फैला रहे हैं और हर साल अधिक से अधिक महिलाओं को सशक्त बना रहे है.