राज्यों में SHG लोन के हालात

SHG के लोन की वसूली दर आश्चर्यजनक है. स्वयं सहायता समूह की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) दर 2023 में 1.8 % है. पिछले कुछ सालों में नए स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने का लक्ष्य बढ़ा है.

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SHG loan

Image Credits: Ravivar vichar

भारत में, स्वयं सहायता समूहों (SHG) को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत मिल रहे लोन से गरीबी उन्मूलन और आजीविका विकास के लिए महत्वपूर्ण रहा है. 2011 में लॉन्च किया गया, एसएचजी और क्रेडिट लिंकेज ने सफलता पायी है. 89 लाख से ज़्यादा SHG को 2023-24 तक लगभग 15 लाख 2 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा की राशि वितरित की जा चुकी है. SHGs को निश्चित सीमा के अंदर इंटरेस्ट सबवेंशन (IS) प्राप्त होता है, जिससे समूह के सदस्यों के लिए लोन सस्ता हो जाता है. IS या इंटरेस्ट सबवेंशन का मतलब है लोन के ब्याज चुकाने पर मिलने वाली अतिरिक्त छूट जिसकी भरपाई सरकार बैंक और सहकारी संस्थाओं को सीधे करती है. बैंक लिंकेज के माध्यम से SHG लोन IS के माध्यम से सदस्यों के लिए सस्ते हो जाते हैं.



SHG के लोन की वसूली दर आश्चर्यजनक है. स्वयं सहायता समूह की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) दर 2023 में 1.8 % है. पिछले कुछ सालों में नए स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने का लक्ष्य बढ़ा है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के एक सर्कुलर लेकर आया जिसने SHG को अतिरिक्त ऋण पर IS पेश किया.



भारत के विभिन्न राज्यों में काम कर रहे SHG देखें तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड और तेलंगाना जैसे कई छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने प्रति वर्ष ऋण, कुल ऋण और कुल IS प्राप्त करने वाले एसएचजी की संख्या में गिरावट देखी है. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी यही हुआ है. पंजाब में ऋण प्राप्त करने वाले एसएचजी की संख्या और IS राशि में भी गिरावट आई है. पुडुचेरी और सिक्किम में, ऋण प्राप्त करने वाले स्वयं सहायता समूहों की संख्या में गिरावट आई है, हालांकि कुल वितरित ऋण या IS राशि में वृद्धि हुई है. लेकिन आशा की किरण है त्रिपुरा, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख राज्य जहां प्रति वर्ष स्वयं सहायता समूह प्राप्त ऋण, कुल ऋण और IS राशि की संख्या में वृद्धि हुई है. छोटे राज्यों में, मेघालय और मिजोरम ने इन सभी संकेतकों में भारी बढ़त की है.



हालांकि SHG का NPA बहुत कम है लेकिन उसमें भी दादरा और नगर हवेली को छोड़कर किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने बकाया ऋण में बहुत अधिक गिरावट नहीं दिखाई है. ऐसा इसीलिए भी हो सकता है क्योंकि लोन भी ज़्यादा बटें है. उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में प्रति वर्ष ऋण, कुल ऋण और IS प्राप्त करने वाले SHG की संख्या में कमी आई है, लेकिन बकाया ऋण बढे है. पंजाब में, ऋण प्राप्त करने वाले SHG और IS की संख्या प्रति वर्ष वितरित ऋण में मामूली वृद्धि के साथ गिर गई है. हालांकि, पंजाब में बकाया राशि लगभग दोगुनी हो गई है.



आरबीआई ने 2022-23 से IS का एक नया प्रावधान पेश किया, जिसके द्वारा बैंक 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच ऋण की सीमांत लागत या 10%, जो भी कम हो, के बराबर ब्याज दर पर ऋण प्रदान करेंगे. यह 3 लाख रुपये तक के ऋण के लिए 7% की मौजूदा सबवेंटेड ब्याज दर के अतिरिक्त है. आगे चलकर IS के तहत SHG को अधिक मात्रा में ऋण उपलब्ध होगा. इससे कोविड-19 महामारी और आर्थिक मंदी से प्रभावित कर्जदारों को मदद मिलेगी.



गरीब परिवारों के लिए सस्ते ऋण की आसान पहुंच प्रदान करना एक प्रशंसनीय कल्याणकारी उपाय है. लेकिन साथ ही, यह राजनीतिक संरक्षण का एक शक्तिशाली उपकरण भी है. 2022-23 के दौरान वितरित ऋण राशि 1 लाख 39 हज़ार करोड़ के लक्ष्य को पूरा करेगी.

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