एक बार एक सोशल रिफॉर्मर ने विवेकानंद से एक सवाल किया, "मै महिलाओं के हालातों को सुधारने के लिए क्या कर सकता हूं?" इस पर स्वामी विवेकानंद का बहुत प्यारा जवाब था. वे कहते है, "हैंड्स ऑफ़! आपको उनके बारे में कुछ नहीं करना है. बस उन्हें अकेला छोड़ दो. उन्हें जो करना है वह खुद करेंगी. यही सबसे जरूरी बात है. ऐसा नहीं है कि पुरुष को स्त्री को सुधारने कि ज़रूरत है. अगर वह यह सोच छोड़ दे तो महिलाएं वही करेंगी जो उनके लिए बेहतर है."
यह जवाब आज भी बहुत से लोगों को सुनने के ज़रूरत है. जाने क्यूं, लेकिन लोगों को ऐसा लगता है, कि हर महिला को सहारे की ज़रूरत है. उनके बिना महिलाएं आगे नहीं बढ़ पाएंगी. लेकिन विवेकानंद के हिसाब से इसका बिल्कुल उल्टा था. वे जानते थे की महिलाओं को हर वक़्त सहारे की कोई ज़रूरत नहीं. वे जानती है की उन्हें क्या चाहिए और उसे पाने के लिए क्या करना होगा.
Image Credits: Swami Vivekananda
इस सोच के व्यक्ति थे स्वामी विवेकानंद. अपने समय से बहुत प्रोग्रेसिव सोच थी उनकी. जब महिलाओं को हर काम के लिए रोका- टोका जाता था, तब वे यह कहते थे. रविवार विचार भी यही सोच लेकर ग्रामीण महिलाओं के साथ हर उस महिला का हाथ पकड़ना चाहता है, जो अपने जीवन को बेहतर करने के लिए हर दिन मेहनत कर रही है. वे स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ रही है, जमापूंजी इक्कठा कर रही है, और खुद के बिज़नेस शुरू कर रही है.
Self Help Group भारत में हर महिला की सेल्फ डिपेंडेंसी को दर्शाने का एक बेहतरीन ज़रिया है. उनकी कहानियां, उनके उपलब्धियां, और उनके हौसले, बहुत ऊँचें है. रविवार विचार बस इन कहानियों को एक मंच दे रहा है, और सोइटी के हर तब्के तक पंहुचा रहा है.