देश के 28 वे राज्य तेलंगाना की आंध्र प्रदेश से अलग होने की कहानी 1950 के दशक में ही शुरू हो गई थी. तेलंगाना राष्ट्रीय समिति ने तेलंगाना मूवमेंट को बढ़ावा दिया और आखिरकार आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 को 2 जून 2014 में पास किया गया. तेलंगाना आंदोलन का नेतृत्व के चंद्रशेखर राव ने किया. केसीआर वह नाम बना जो तेलंगाना के नेताओं और आम जनों को एकजुट, एक लक्ष्य के लिए साथ लाया. तेलंगाना सांस्कृतिक विरासत की खदान है, जो यहां के लोगों की विविधता और समृद्धि को दिखाता है. यह राज्य बोनालू, बथुकम्मा, और पेरिनी शिवतांडवम जैसी ऐतिहासिक कलाओं के लिए जाना जाता है.
अस्तित्व में आने के बाद से तेलंगाना ने विकास पर लक्ष्य साधा हुआ है. बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में तेलंगाना ने अपनी अलग पहचान बनाई है. तेलंगाना ने सिंचाई परियोजनाओं, औद्योगिक विकास और सूचना जैसे क्षेत्रों में काफी प्रगति की है. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना को एक महिला कल्याण राज्य में बदलने की बात की. महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए तेलंगाना स्वयं सहायता समूहों को प्रेरित कर रहा है. राज्य में 18 लाख महिलायें 1.77 लाख से ज़्यादा स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर आत्मनिर्भर बनने के सपना पूरा कर रही हैं.
तेलंगाना सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी जयेश रंजन (Jayesh Ranjan, Principal Secretary of Industries & Commerce and Information Technology) का कहना है कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) में बढ़ोतरी महिलाओं की वजह से मुमकिन हो सकी है. 2014 के बाद से तेलंगाना की प्रति व्यक्ति आय में 130% की बढ़ोतरी देखी गई. स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) से जुड़कर शहर के साथ-साथ ग्रामीण महिलायें भी कार्यबल का हिस्सा बनीं हैं. आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, स्वयं सहायता समूहों ने 14. 2 करोड़ परिवारों को बैंकों से जोड़ा, जिससे 47,240 करोड़ की बचत जमा हुई.
मिसरो क्रेडिट, बैंक लिंकेज के साथ, सरकार स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ट्रेनिंग और कंप्यूटर कौशल के ज़रिये मज़बूती दे रही है. राज्य सरकार SHG की क्षमता को समझते हुए, समूहों की आगे बढ़ने में मदद कर रही है. तेलंगाना आज विकास के पथ पर डट कर चल रहा है. SHG के ज़रिये इस सफर को गति मिली है.