अपनी रोज़मर्रा कि ज़िन्दगी और काम करने कि जगह महिलाओं के संघर्ष को कौन नहीं जानता. महिलाओं की मुश्किलें और संघर्षों के बारे में तो फिर भी हमें पता चलता रहता है. लेकिन समाज का एक ऐसा हिस्सा जिसकी चुनौतियां सबसे ज़्यादा हैं लेकिन उनके बारें में कहीं ज़िक्र नहीं होता. यह हैं थर्ड जेंडर, समाज में अपने अधिकारों और समान अवसर की लड़ाई के साथ रोज़गार तलाशना लगभग नामुमकिन सा काम हैं. अगर रोज़गार मिल भी जाए तो शोषण और उत्पीड़न की नई कहानी शुरू होती है. इन मुश्किलों के बीच स्वयं सहायता समूह, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आशा की किरण बन के उभरे हैं. अपनों के बीच स्वाभिमान और प्रतिष्ठा के साथ काम करने का अवसर, हज़ारों स्वयं सहायता समूह (SHG) आज भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय को दे रहे हैं.
तेलंगाना के करीमनगर में नगरपालिका क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन मिशन (MEPMA) के तहत छह सदस्यों के साथ एक ट्रांसजेंडर स्वयं सहायता समूह बनाया. उनके पहचान पत्रों के अलावा बैंक खाते खुलवाकर पासबुक भी बनाये गए. ग्रुप बनने के बाद 32 और ट्रांसजेंडर्स ने अधिकारियों के पास अपना नाम दर्ज कराया. व्यावसायिक प्रशिक्षण के अलावा स्वरोजगार के लिए 50 हज़ार रुपयों का लोन भी दिया गया. आज बिहार में 10 लाख से भी ज़्यादा स्वयं सहायता समूह हैं. राज्य में SHG की सफलता को देखते हुए बिहार में रह रहे 40,000 से ज़्यादा ट्रांसजेंडर लोगों के लिए कौशल प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की. ये कदम उन्हें रोज़गार के अवसर देने और मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लिया गया.
हाल ही में ओडिशा सरकार ने भुवनेश्वर में 20 हज़ार महिला और ट्रांसजेंडर स्वयं सहायता समूहों को साइकिल दी. ये महिलाएं और ट्रांसजेंडर्स आहार किचन संभाल रहे हैं, जल साथी बन वाटर मैनेजमेंट कर रहे हैं, और वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट की देख रेख भी कर रहे हैं. इस मदद से इन्हें काम की आसानी होगी और कार्यबल में हिस्सेदारी बढ़ेगी.
ओडिशा के कटक में बाढ़, खुले में शौच, पर्याप्त जगह की कमी और कम सीवर कवरेज जैसी कई चुनौतियां थी, जिन्होंने सुरक्षित स्वच्छता समाधानों की उपलब्धि को बाधित किया. कटक नगर निगम (सीएमसी) ने कचरे के उपचार के लिए एक सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसईटीपी) की शुरुआत की. ट्रांसजेंडरों को स्वयं सहायता समूह बनाकर इन्हे एसईटीपी की देखभाल का काम दिया गया जिसे वे बखूबी संभाल रहे हैं.
पॉन्डिचरी में शीतल ने अपने जैसे ट्रांसजेंडर्स के लिए सहोदरन कम्युनिटी ओरिएंटेड हेल्थ डेवलपमेंट की शुरुआत की. उन्होंने LGBTQ (एल जी बी टी क्यू ) समूहों के लिए काम किया और आगे चलकर राज्य में ट्रांसजेंडर फेडरेशन शुरू किया. आज, ट्रांसजेंडर फेडरेशन में 15 स्वयं सहायता समूह हैं, जो समुदाय में ट्रांसजेंडरों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए काम करते हैं. इन कमजोर समूहों को स्वास्थ्य और शिक्षा सम्बंधित मदद और परामर्श भी दिया जाता है.
ट्रांसजेंडर SHG सदस्यों के लिए अपने कौशल विकसित करने और रोज़गार के अवसरों तक पहुंचने के अवसर पैदा करने में सफल रहे हैं. कई समूहों ने सिलाई, ब्यूटी पार्लर और क्राफ्ट इकाइयां स्थापित की. SHG ने सदस्यों को आर्थिक आज़ादी हासिल करने में मदद की, जिससे उनके प्रति हो रहे भेदभाव और दुर्व्यवहार को कम करने में मदद मिली. SHG की जागरूकता फैलाकर कई और ट्रांसजेंडरों को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करने की ज़रुरत है क्योकि आर्थिक आज़ादी उन्हें समाज में सामान दर्जा और बेहतर ज़िन्दगी पा लेने में मदद कर सकते हैं.