अर्बन SHG से बनेगी अपनी बात

कुछ नया करेंगे, नया सीखेंगे, भला कब तक चुपचाप बैठकर कमियां गिने ? चार पैसे कमाएंगे तो कुछ ज़रूरतें पूरी हो सकेंगी. देखो क्या होता है. उम्मीद तो काफ़ी है. अब उड़ान भरी है तो दूर तक जाने का सोच रहें है. क्या पता इस बहाने नई पहचान मिल जाये. 

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मिस्बाह
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urban SHG

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मेरी डायरी  

पेज 48, 6 जनवरी 2022 

पटना, रात 9 बजे  

कई बार पटना का शोर बेहरा कर देता है, चकाचौंध आंख में चुभने लगती है. कितनी भाग दौड़ है यहां. सुकून मिलता है तो बस इन पन्नो में. दिल की बात यहीं तो कर पाती हूं. आज बहुत दिनों बाद कटौतिया का नाम सुना. मेरा गांव था कटौतिया, आंखों के सामने शांति और सुकून की बयार बहने लगी. ये 8 साल पहले पटना आये थे काम की तलाश में. गुड्डू के पापा को कभी काम मिलता और कभी ख़ाली हाथ. कितनी कोशिश करी थी, कितना रोइ थी कि ग्रेजुएशन पूरा हो जाए. लेकिन मां ने कहां शादी ज़रूरी है. कर दी शादी और रह गया ग्रेडुएट बनने का सपना अधूरा. फिर ससुराल वाले तो पढ़ाने से रहे और गुड्डू के होने के बाद तो डबल ज़िम्मेदारियां. कॉलेज तक पहुंची तो मज़दूरी नहीं कर सकती और आधी ग्रेडुएट को पटना में कहां नौकरी मिले. कटौतिया में तो माँ स्वसहायता समूह से जुड़ गयी थी मेरी शादी के बाद. उससे पता चला कि समूह से जुड़कर कुछ काम करों तो चार पैसे कमा लो. आज समूह की याद आयी तो नेहा दीदी का ध्यान आया. माँ के समूह की सचिव नेहा दीदी से बात करना हमेशा अच्छा लगता है.  शायद कल बात हो पाए ........... 

पेज 49, 7 जनवरी 2022

पटना, रात पौने 11 बजे    

आखिर गुड्डू सोया और जब घर का काम निपटा तो नेहा दीदी से बात हुई. बिज़ी रहने लगीं है आजकल. बता रहीं थी घर और समूह के कामों में कहां दिन निकल जाता है पता ही नहीं चलता. लेकिन आवाज़ में ख़ुशी थी आख़िर अपनी बच्ची को पढ़ने पटना जो भेज रहीं है.  मैं भी खुश होगयी, बोल दिया निक्की घर की बेटी है यहीं रुकेगी. नेहा दीदी से बात-बात में निकल गया कि शहर में मन नहीं लगता, कटौतिया वापिस आने को तड़प जाती हूँ . उन्होंने डांट दिया, कहने लगी गुड्डू शहर में रहकर ही अच्छा पढ़ लिख पायेगा.  फिर असली बात बता ही दी कि खर्चे भी बढ़ने लगे हैं.  नेहा दीदी ने स्वसहायता समूह से जुड़ने की सलाह दी.  मैंने बोला दीदी शहर में कहा होते है SHG . उन्होंने बताया पटना  में भी स्वसहायता समूह चलते हैं. कुछ और बाते बताई शहर के SHG के बारे में. कल देखती हूं कौन-कौन से समूह है पटना में...... 

 

पेज 50, 8 जनवरी 2022  

पटना, रात साढ़े 10 बजे  

गुड्डू को स्कूल भेजते ही पड़ोस वाली भाभियों को फ़ोन लगाया. एक भाभी ने ऐसे समूह के बारे में बताया जो बच्चों के कपड़ें सिलती हैं. सिलाई तो मैंने भी सीखी थी. सोच रही हूं कल जाकर उनसे बात कर आऊं. 

 

पेज 51, 9 जनवरी 2022  

पटना, रात 11 बजे  

आज समूह से मुलाक़ात हुई. पास वाली बस्ती में ही हैं. कई नई बातें पता चली. पहले लगा था पटना में SHG होंगे ही नहीं. अब जाना स्वसहायता समूह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 23,324 परिवारों की मदद कर रहे हैं, जिसमे शहरी क्षेत्रों के 40% BPL परिवार शामिल है.  समूह की दीदियों ने बताया समूह से बचत कर वो साहूकारों के चंगुल से आज़ाद हुई. और भी समूह हैं आस-पास. कोई मिट्टी के खिलौने बना रहा है तो कोई किचन गार्डनिंग कर रहा है. कुछ महिलाओं ने सिलाई करी तो कुछ ने अपना ब्यूटी पार्लर खोला. शहर की आपा-धापी के बीच इन कामों ने इन्हे अपने परिवार के हालात सुधार पाने की उम्मीद दी. सबने अपनी-अपनी कहानी सुनाई, किसी का बच्चा अब स्कूल जा पा रहा है तो किसीका इलाज हो पाया. इन सभी ने समूह से जुड़ने की हिम्मद मिली. गुड्डू के पापा आ जाये तो बात करूंगी, सोच रही हूं में भी इस समूह से जुड़ जाती हूं.  

पेज 52, 14 जनवरी 2022  

पटना, रात 9 बजे  

पिछले 4 दिन तो वक़्त ही नहीं मिला कुछ भी लिखने का. समूह से जुड़के तो मानों मुझे पंख ही मिल गए. गुड्डू के पापा भी खुश है. उम्मीद है कुछ खर्चे बांट पाऊं. परसो आंगनवाड़ी कायकर्ताओं से मिलना हुआ, जनपद पंचायत के ऑफिस गए, सर और मैडम से मिले, सरकारी स्कीमों के बारे में भी पता चला. किशोरियों, बच्चों, माताओं के स्वास्थ्य का पता चला. एहसास हुआ दुनिया में कितना कुछ है सीखने के लिए, जानने के लिए. जब दूसरी औरतों को कम्प्यूटर पे काम करते, रजिस्टरों में लिखते, हिम्मत भरी आवाज़ में बात करते देखा तो लगा मैं भी कुछ कर सकती हूं , कुछ बन सकती हूं. पता है, दूर किसी बस्ती में समूह की महिलाओं ने तो शराबियों को ऐसा मज़ा चखाया कि ठेका ही बंद करवा दिया. हमारी बस्ती में पानी की किल्लत है, सफ़ाई की कमी है. SHG से जुड़कर आवाज़ लगाएंगे तो शायद सुनवाई होगी. 

सब साथ हैं तो हिम्मत है. कुछ नया करेंगे, नया सीखेंगे, भला कब तक चुपचाप बैठकर कमियां गिने ? चार पैसे कमाएंगे तो कुछ ज़रूरतें पूरी हो सकेंगी. देखो क्या होता है. उम्मीद तो काफ़ी है. अब उड़ान भरी है तो दूर तक जाने का सोच रहें है. क्या पता इस बहाने नई पहचान मिल जाये. 



ये डायरी केवल नेहा राठौर की नहीं थी बल्क़ि उस जैसी कितनी ही महिलाओं की है जो शहरों के SHG से जुड़कर अपना जीवन सुधार रही हैं. शहरों -कस्बों के SHG भी कमाल का काम कर रहे हैं .और नेहा जैसी हज़ारों महिलाओं के लिए आशा की किरण बने हैं. गाँव के साथ आज देशभर के कस्बों और शहरों के SHG महिलाओं की बेहतर ज़िंदगी की तलाश को पूरी कर रहे हैं. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत 5.96 करोड़ महिलाओं को 54.07 लाख महिला स्वसहायता समूहों में शामिल किया गया. गुमला में चल रहे समूह की महिलाओं ने 'टेंट हाउस' से अच्छा मुनाफा कमाया, रायचूर में महिलाओं ने एकजुट आकर शराब की दुकानों को बंद करवाया, नागालैंड में SHG महिलाओं ने खुद एलोवेरा की खेती कर उसके साबुन बनाकर बेचे,और शांतिनगर में SHG द्वारा स्लम निवासियों के घर तोड़ने वाले आदेश को रुकवाया गया. ऐसी और भी कहानियां मिल जाएंगी. मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स ने शहरी स्वसहायता समूह उत्पादों की आसान मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए 'सोन चिरैया' ब्रांड और लोगो लॉन्च किया. मंत्रालय ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स पोर्टलों के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) साइन किया. शहरों में गैर-कृषि क्षेत्रों में महिलाओं को बढ़ावा देने की लिए उनकी ट्रेनिंग और तकनीकी सहायता भी दी जा रही है. इस तरह SHG महिलाओं को शहर की मुश्किलों के बीच भी सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौंसला दे रहे हैं.   

मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स सोन चिरैया NRLM NULM SHG