चलिए आज एक सवाल करती हूं आपसे...ज़रा बताइये की आज सुबह का खाना आपके घर में किसने बनाया? आपके झूठे बर्तन आपके घर पर कौन धोता है, आपके और आपकी पिता के झूठे चाय के कप सिंक तक कौन रखने जाता है, खाना गर्म करके कौन देता है? अब आप बोलेंगे की ये काम तो औरत के ही है...घर की महिला ही करेगी ये सारे काम...क्योंकि हमेशा से वो ही करती आई है...
घर की महिला: unpaid labour
चलिए ये जाने दीजिए... एक और सवाल करती हूं, कि ये सारे काम एक औरत के ही है, ये किसने कहा? ये नियम किसने बनाया कि घर के काम एक औरत की ज़िम्मेदारी है? ये नियम किसने बनाया की घर पर अगर आपको खाना परोसा जाएगा तो सिर्फ मां, बहन, या बीवी परोसेगी? ये सब नियम किसने बनाए और कहां बनाए?
कोई जवाब नहीं है ना? बिल्कुल नहीं होगा, क्योंकि ये नियम है ही नहीं...एक घर का काम करना औरत की ज़िम्मेदारी नहीं है... बात ये है की घर की महिलाएं इन कामों को कर रही है क्योंकि उनके पास कोई और तरीका ही नहीं है... मान लीजिए किसी दिन आपकी मां, बहन, बीवी ने आपसे इन कामों की कीमत मांग ली तो आप कही के नहीं रहेंगे.
क्योंकि आज तक एक महिला ने घर पर जितना काम किया है ना, वो भी बिना पैसे लिए, उसे unpaid labour कहा जाता है. बुरा लगेगा सुनकर कि आपकी मां को, आपकी बीवी को, आपकी बहन को हमनें मज़दूर कहा. लेकिन आप तो उनको वैसा ही treat कर रहे है वो बीच बिना जाने...
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन की रिपोर्ट
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 64 देशों की सारी औरतें 1640 करोड़ घंटे बिना पेमेंट के काम करती है...हैरानी नहीं होती ये सुनकर कि आपकी मां, बीवी, बेटी, बहन, बिना appreciation के हर दिन इतना काम कर रही है और आप उस काम को काम समझ भी नहीं रहे है. ये तो उनकी ज़िम्मेदारी है.
वाह भई वाह ! एक आदमी करें तो आर्ट, कला और लड़का घर का काम भी कर लेता है...
...और अगर एक महिला करे तो appreciation तो मिलेगा ही नहीं, ऊपर से ये कहा जाएगा कि ये तो उनकी ज़िम्मेदारी है !
एक बात आज मुझे याद क्यों आई ये भी बता देती हूं, एक उम्मीद की किरण दिखी मुझे. मैंने एक खबर पढ़ी हाल ही में, जिसमें एक Russia की महिला ने divorce पर अपनी एक्स हस्बैंड से घर के कामों की पेमेंट मांग ली, और उस आदमी को वो पैसा देना पड़ा. अब ज़रा सोचिये कि आपके घर की महिला भी अपना हक़ समझ कर आपसे यह पैसा मांग ले तो?
अगर ऐसा हो गया कि घर कि सारी महिलाओं ने अपने हक़ का पैसा मांग लिया तो भारत की 7.5 % GDP के बराबर होगा... यकीन नहीं हो रहा ना?
जी हां, हर दिन आपके घर की महिला इतना काम करती है, क्योंकि वो काम आप किसी को पैसा देकर करवाएंगे तो शायद इस देश के आधे से ज़्यादा लोगों को और ज़्यादा कमाना शुरू करना पड़ेगा, क्योंकि उनकी अभी कि सैलरी में तो ये सब मुमकिन नहीं!
अब ज़रा सोचिए, और आज ही जाकर अपनी मां, बेटी, बीवी, बहन, और हर उस महिला को धन्यवाद कहिएगा... और उनकी मदद करने में शर्माइएगा भी नहीं !