20-25 की उम्र में पहुंचते ही "शादी कब कर रही हो?" वाला सवाल "कैसी हो?" से पहले पुछा जाने लगता है. शादी (marriage) पर ज़ोर देने वाला समाज डिवोर्स (divorce) के मुद्दे पर चुप्पी साध लेता है. किसी भी रिश्ते (relationship) का ख़त्म होना मुश्किल होता है, लेकिन अगर बात डिवोर्स की हो तो मुश्किलें कई गुना बढ़ जाती है. टॉक्सिक रिश्ते (toxic relationship) को छोड़ने की जगह उसे सहने पर ज़ोर दिया जाता है जिस वजह से पति या पत्नी को कई तरह की भावनात्मक परेशानियों (emotional challenges) से जूझना पड़ता है. अक्सर देखा गया कि डिवोर्स की मांग करने पर महिलाओं को दोषी ठहराया जाता है.
करियर (career) को ज़्यादा अहमियत देने या घर में ध्यान देने को रिश्ता ख़त्म करने की वजह मानी जाती. जब मशहूर हस्तियां (famous personalities) डिवोर्स को चुनती तो ट्रोल्स (trolls) का शोर बढ़ जाता और उनकी पर्सनल लाइफ (personal life) की चर्चा पब्लिक स्पेसेस (public spaces) में होने लगती. महिलाओं के अलावा पुरुषों को भी शादी से पहले तलाक से जुड़े कानूनों के बारे में जानकारी नहीं होती. लेकिन फेवर्ड जेंडर होने के नाते, उन्हें डिवोर्स मांगने पर तिरछी निगाहों और तीखे सवालों का सामना नहीं करना पड़ता. किसी महिला द्वारा ये कहा जाना कि वे शादी में नहीं रहना चाहती, उनके चरित्र पर सवाल उठने की वजह बन जाती है.
अरबाज खान (Arbaz Khan) से तलाक के बाद मलायका अरोड़ा (Malaika Arora) पर ट्रोल्स ने काम पाने के लिए परिवार का नाम इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्हें तलाक देने के लिए 'गोल्ड डिगर' (Gold Digger) भी कहा गया. कुशा कपिला (Kusha Kapila) और जोरावर (Zoravar) ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपने अलग होने के फैसले को शेयर किया. ट्रोल्स ने कुशा कपिला के लिए कहा कि ज़्यादा फेमस हो जाने की वजह से उन्होंने ये फैसला लिया है. नागा चैतन्य के साथ तलाक हो जाने के बाद समांथा के बारे में तरह-तरह की कमेंट्स किये गए. इंटरनेट ने ये खबर सुनते ही मान लिया कि उन्होंने पैसे के लिए तलाक दिया है.
महिलाओं को हर चीज़ की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है, डिवोर्स की भी. महिलाओं को अब डिवोर्स से जुड़े कलंक पर खुलकर सवाल उठाने की जिम्मेदारी खुद लेने की जरूरत है. डिवोर्स कानूनों और विवाहित महिलाओं के कानूनी अधिकारों के बारे में पढ़ें.