"अरे, अलग बैंक खाते (bank account) की क्या ज़रुरत है ?", "अपने हस्बैंड के साथ जॉइंट (joint account) अकाउंट खुलवालो", "मिलकर सेविंग्स कर लेना" महिलाओं को कुछ ऐसे तर्क देकर अपना अलग बैंक खाता खुलवाने से रोका जाता है. सेलेरी अकाउंट के बहाने नोकरीपेशी महिलाओं का अलग बैंक खाता खुल जाता है, लेकिन गृहणियों का अलग खाता होना ज़रूरी नहीं समझा जाता. भारत में महिलाएं 35% बैंक खातों की मालिक हैं, और कुल जमा राशि का सिर्फ 20% हिस्सा महिलाओं का है. ये आंकड़े भारतीय महिलाओं की आर्थिक आज़ादी की स्थिति पर सवाल उठाते हैं.
"हम एक अलग बैंक खाता और पतियों या किसी और के साथ जॉइंट खाता नहीं रखने से कम महान नहीं हो जायेंगे." वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महिलाओं की आर्थिक आज़ादी पर कहा. थिंकर्स फॉरम द्वारा बेंगलुरु में आयोजित एक इवेंट में सीतारमण ने महिलाओं को अपना अलग बैंक खाता खोलने के लिए प्रोत्साहित किया. फाइनेंशियल लिट्रेसी की कमी की वजह से महिलाएं अपना अलग खाता खोलने में संकोच करती हैं. उन्हें अपने पति या घर के किसी पुरुष के साथ जॉइंट खाता खोलना आसान लगता है क्योंकि बैंक की फॉर्मलिटीज से कई महिलाएं घबराती हैं.
जॉइंट खाता कई बार पति-पत्नी के बीच मन मुटाव की वजह बन जाते हैं. उससे बचने के लिए सेपरेट खाता होना ज़रूरी है. पति पर ज़्यादा क़र्ज़ होने की स्थिति में एक्सपर्ट्स जॉइंट खाता रखने की सलाह नहीं देते. अपने खर्चों और बचत का हिसाब महिलाएं सेपरेट खाते में बेहतर तरीके से कर सकती हैं. जॉइंट खातों के अपने फायदे हैं, लेकिन महिलाओं का अलग खाता उन्हें मज़बूती देता है, और भविष्य में आने वाली आपातकालीन स्थिति से निपटने में सहायता मिलती है.