योग से गांवों में बढ़ी हेल्थ और सोशल वेल्थ

International Day of Yoga: ग्रामीण जन अपने दैनिक जीवन में किसानी, पशुपालन और प्राकृतिक संसाधनों के साथ अपने स्वास्थ्य और सुख का ध्यान रखते हैं. इस तरह की जीवनशैली के चलते, योग गांव की जनता के लिए गहरी संवेदनशीलता और आत्म-संयम का ज़रिया साबित होता है.

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मिस्बाह
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Image Credits: Bharath Institute

दौड़ते बच्चे, आंगन में सजी महफ़िल, लहलहाते खेत, और प्रकृति के साथ जुड़ाव- ग्रामीण भारत (rural India) की सुंदरता का अहम हिस्सा है. योग (Yoga) भारत में हमेशा से ही खुद से जुड़ने, प्रकृति के साथ संतुलन बैठाने, और शांति हासिल करने का ज़रिया रहा है. योग की ज़रुरत पहचानने का आरंभ आदि से ही हो गया था, जब इंसान आत्म-परिचय और शांति (peace) की खोज करने लगा. इस प्राचीन भारतीय विज्ञान (ancient Indian science) ने शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को स्थापित करने का रास्ता दिखाया. लेकिन, जैसे-जैसे भारत का आधुनिकीकरण हुआ, गांव पिछड़ते गए. 

कई संस्थाएं गांवों को सशक्त (empower) बनाने और उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं. अमृता सर्व (Amrita SeRVe) भी ऐसा ही एक प्रयास है, जो  गांवों को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने, सामाजिक विकास को बढ़ावा देने, और खुद को बाहरी दुनिया से जोड़ने के लिए गतिविधियों के ज़रिये गांवों का उत्थान करता है. अमृता सर्व (Amrita SeRVe) ग्रामीणों, ख़ासकर महिलाओं को बैंक खाते खोलने, सामाजिक-सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाने और आर्थिक आज़ादी हासिल करने के लिए स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) बनाने में मदद करती है. इससे सामाजिक सशक्तिकरण तो हो जाता है, पर आत्म सशक्तिकरण की ज़रुरत अभी बाकी है. 

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Image Credits: Amrita SeRVe

आत्म-सशक्तिकरण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अमृता सर्व नियमित योग और मैडिटेशन (meditation) का आयोजन करता है. अमृता सर्व योग और मेडिटेशन को बढ़ावा देकर गांवों में भारत की पारंपरिक संस्कृति को पुनर्जीवित कर रही है. योग और ध्यान गतिविधियों का लक्ष्य आंतरिक अस्तित्व से जुड़ना और अपने मन और शरीर को स्वस्थ रखना है. प्रतिभागी बताते हैं कि नियमित अभ्यास से उनके दैनिक जीवन में कई तरह के बदलाव महसूस हुए. 

बच्चों और SHG सदस्यों के लिए सरल योग आसन (yoga asana) सिखाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और ग्राम समन्वयकों को प्रशिक्षित (training) किया जाता है. योग सत्र हर जगह आयोजित किए जाते हैं: छतों और खेतों में, घर में या पेड़ों के नीचे, स्कूल की कक्षाओं या बरामदों में, खेल के मैदानों में, स्थानीय सामुदायिक केंद्रों, या पार्कों में. योग के ज़रिये ग्रामीण अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हुए, एकजुटता की भावना आई, बच्चों का स्कूल आने में मन लगने लगा, महिलाओं ने खुद के लिए समय निकाला, और सभी ने शांति महसूस की.  

योग का अभ्यास भारतीय संस्कृति (Indian culture) का ज़रूरी हिस्सा है. ग्रामीण जन अपने दैनिक जीवन में किसानी, पशुपालन और प्राकृतिक संसाधनों (natural resources) के साथ अपने स्वास्थ्य (health) और सुख का ध्यान रखते हैं. इस तरह की जीवनशैली के चलते, योग गांव की जनता के लिए गहरी संवेदनशीलता और आत्म-संयम का ज़रिया साबित होता है. ग्रामीण इलाकों में स्वयं सहायता समूहों (SHG) के ज़रिये योग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि योग के फायदे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंच सके. योग की शिक्षा गांवों के विकास की दिशा में एक ज़रूरी कदम साबित होगी. 

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