"शुरू से ही मुझे प्रकृति लुभाती रही. हम इन जगलों में घूमते थे. प्राणी मात्र से लगाव था.हम लोग यहीं रचे-बसे.शादी के बाद संघर्ष किए. मैं कुछ अलग करना चाहती थी. आखिरकार मुझे बांधवगढ़ पार्क में गाइड बनने का मौका मिला गया. देश-विदेश के पर्यटकों के साथ अलग तरह का अनुभव और टाइगर से मिलवाना रोमांच पैदा करवाता है. मेरा जीवन ही बदल गया." कुछ इस अंदाज़ में दीपा सिंह ने अपने अनुभव बताए. लेडी गाइड को लेकर इन दिनों बांधवगढ़ टाइगर नेशनल पार्क चर्चा में है.
ती है. दीपा आगे बताती है कि- "हमें यहां पूरी तरह से ट्रैन किया गया . हम पर्यटकों को टाइगर के अलावा दूसरे बर्ड्स,बटरफ्लाई के साथ प्राणियों को दिखा कर जानकारी देते हैं. मुझे ख़ुशी है कि मेरे एकजुट महिला स्वयं सहायता के साथ गाइड बन कर भी आत्मनिर्भर बन सकी."
बांधवगढ़ का इतिहास भी रोचक है. यहां पर्यटकों को सिर्फ टाइगर या दूसरे प्राणी ही देखने को नहीं मिलते बल्कि यहां का इतिहास भी समझने का मौका मिलता है. पर्यटन प्रभारी और रेंज ऑफिसर रंजन सिंह परिहार कहतें है-" यह जंगल 1536 स्क्वेयर किमी में फैला है. साथ ही विंध्य की 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है यह पार्क. यहां लगभग दो हजार साल पुराना किला है. 12 पुराने तालाब के साथ राधा कृष्ण का मंदिर भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. लेडी सभी गाइड को प्रेक्टिकल करवा कर ट्रेनिंग दी है." बायलोजिकल रिसर्चर तेजस करमरकर बताते हैं -" यहां कई तरह के पेड़ों की प्रजातियां हैं. इससे हर प्राणी के साथ बर्ड्स और बटरफ्लाई को अनुकूल माहौल मिलता है. यहां लगातार रिसर्च जारी रहती है." महिलाओं को प्रमोशन देने के लिए एसडीओ फॉरेस्ट सुधीर मिश्रा और फील्ड डायरेक्टर राजीव मिश्रा खुद मॉनिटरिंग कर रहें हैं. संचालक राजीव मिश्रा कहते हैं -" बांधवगढ़ पार्क बहुत पसंद किया जा रहा है. यहां बारह हजार से ज्यादा पर्यटक हर महीने आते हैं ,जिसमें विदेशी भी शामिल हैं.
उमरिया जिले में बांधवगढ़ नेशनल पार्क को लेकर जिला प्रशासन भी एलर्ट है. जिला पंचायत की सीईओ ईला तिवारी कहती हैं-" टाइगर पार्क में जिले की ही महिलाओं खासकर बैगा और गौंड समुदाय को मौका दिया. ख़ुशी की बात है कि क्षेत्र कि महिलाओं ने रूचि दिखाई. ये इस इलाके से पहले से ही परिचित है. अब ये सफलता पूर्वक काम कर रहीं हैं." यही नहीं ट्रेनिंग के बाद वन मंत्री विजय शाह खुद बांधवगढ़ पहुंचे और अपने हाथों से गाइड को सर्टिफिकेट बांटे. विजय शाह कहते हैं -" स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार के अवसर देने का यह प्रयास था. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ नई फील्ड में जगह देना खास मकसद है."