सुभद्राकुमारी चौहान कविताओं में देश प्रेम को पिरोती

बचपन से ही बहादुर और दबंग सुभद्राकुमारी चौहान के लेख भी उनकी तरह स्पष्ट होते. खड़ी बोली में लिखी उनकी कहानियों और कविताओं ने लोगों को आज़ादी का हक़ मांगने के लिए प्रेरित किया.

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बचपन से ही बहादुर और दबंग सुभद्राकुमारी चौहान के लेख भी उनकी तरह स्पष्ट होते. खड़ी बोली में लिखी उनकी कहानियों और कविताओं ने लोगों को आज़ादी का हक़ मांगने के लिए प्रेरित किया. स्वतंत्रता संग्राम का अपने शब्दों की ताकत से समर्थन करने वाली सुभद्रा ने महिलाओं की आज़ादी और उनके अधिकार का भी समर्थन किया. उन्हें उस समय का फेमिनिस्ट आइकॉन माना गया. उनका नारीवाद वीर रस और वात्सल्य रस से भरपूर था. 

महिलाओं की वीरता और आज़ादी पर ज़ोर देती सुभद्राकुमारी की कविताएं 

अनोखा दान, उपेक्षा, उल्लास, कलह-कारण,जालियांवाला बाग में वसंत, वीरों का कैसा हो बसंत, जैसी कविताएं लिखीं. सुभद्राकुमारी के लेख पितृसत्ता के विरूद्ध बोलने की जगह महिलाओं की वीरता और उनकी आज़ादी पर ज़ोर देते. उनकी कहानियों में महिला किरदार मज़बूत, भावुक, और संतुलित होतीं. सुभद्रा की नायिकाएं पुरुष किरदार से बराबरी करने की बजाय, अपने भावों की सुंदरता, वात्सल्य, वीरता, और देश प्रेम से अपनी जगह बनातीं. उनकी कविताएं सामाजिक बदलाव और ऐतिहासिक प्रगति को शब्दों में ढालती.