बुरहानपुर जिले में केला उत्पादन के बाद बचे हुए तने और पेड़ों को सिर्फ काट कर फेंक दिया जाता था. दो सालों में ही इन केलों के रेशे ने कई महिलाओं और उनके परिवार आर्थिक स्थिति ही बदल दी.
बुरहानपुर जिले में केला उत्पादन के बाद बचे हुए तने और पेड़ों को सिर्फ काट कर फेंक दिया जाता था. दो सालों में ही इन केलों के रेशे (Fiber) ने कई महिलाओं और उनके परिवार आर्थिक स्थिति ही बदल दी. फाइबर से इन दिनों महिलाएं दीये बना रहीं हैं. पर्यावरण के लिए सुरक्षित इन दीयों की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों से भी इसकी डिमांड आने लगी.