एग्रीप्रेन्योर्स हैं किसान दीदियां

महिलाओं की मेहनत और सरकार की योजना ने इन महिलाओं की ज़िंदगी की तस्वीर बदल दी.मजदूरी कर महिलाएं अपनी गरीबी से जूझ रही थीं. अब इलाके में इनको किसान दीदी के रूप में नई पहचान मिल गई. ये खेत जमीन की मालकिन बन गई.

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खेतों खड़ी में नीली साड़ी पहने और मुस्कुराती ये किसान दीदियां हैं. पिछले एक साल से देवास जिले के आगरा खुर्द,मंगरादेह, इमलीपुरा,पुतलीपुरा गांव का नज़ारा ही बदल गया. एक टाइम कभी सोचा भी न था कि कच्चे घरों में रहने वाले परिवारों की हम महिलाएं मजदूरी से कभी छुटकारा भी पा सकेंगी. बरसों से मजदूरी कर रही महिलाओं की मेहनत और सरकार की योजना ने इन महिलाओं की ज़िंदगी की तस्वीर बदल दी.मजदूरी कर महिलाएं अपनी गरीबी से जूझ रही थीं. 

अब इलाके में इनको किसान दीदी के रूप में नई पहचान मिल गई. ये खेत जमीन की मालकिन बन गई. 

दरअसल सरकार ने बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत किसानों को फलदार पौधे देने और उनके खेतों में लगवाने का प्लान किया. बस यहीं से कई किसान दीदियों की किस्मत संवर गई.उन किसानों खासकर समूह की महिलाओं को चुना गया जिनके पास जमीन तक नहीं थी. वन विभाग ने वन भूमि के पट्टे दे दिए.हॉर्टिकल्चर विभाग ने पौधे उपलब्ध करवाए.   

 

आगरा खुर्द गांव में आरती स्वसहायता समूह की मेंदु बाई कहती हैं -"मेरी तो ज़िंदगी गरीबी में बीत रही थी. एक दिन गांव में  कुछ अधिकारी आए. हमें वन भूमि का पट्टा दिया और आम,जामफल (अमरुद) के पौधे लगवाए. दो साल में इनमें फल आने लगेंगे. हम इन्हें बेच कर कमाई करेंगे. इसके अलावा सब्जी और बीच में दूसरी फसल लगा रहे."  इस समूह में दूसरी दीदियां भी मुर्गी पालन, किराने की दुकान सहित और धंधा कर रही है. 

 

किसान दीदियां एग्रीप्रेन्योर्स हॉर्टिकल्चर स्वसहायता समूह