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छोटी सी पहल बदल बदल रही लोगों का नज़रिया
इसी बात को ध्यान में रखते हुए नंदिनी ने फैसला किया कि इस तरह से वे हर दिन और नहीं सहन कर सकती. उन्होंने ठान लिया कि वे कुछ और प्रयास करेंगी. वे बताती है- "जब भी मैं जब भी मैं जाकर उनके रिश्तेदारों को बच्ची देती, मैं मुस्कुराती और कहती- "माउशी, लक्ष्मी आली, माला मिठाई पाईजे" (लक्ष्मी आई हैं, मुझे मिठाई चाहिए!)