मणिरत्नम की फ़िल्में महिलाओं के दिलों की गहराई और भावों की जटिलता को दर्शातीं. हवा, बारिश, पानी जैसे प्राकृतिक दृश्यों के ज़रिये - उदासी, खुशी, भय, हताशा, रोष, प्रेम, शून्यता, हर भावना को दिखाया.
इंडियन सिनेमा को नई सोच और रंग-बिरंगे किरदारों से रंगने वाले डायरेक्टर मणिरत्नम ने अपनी कॉर्पोरेट जॉब से परेशान होकर फ़िल्मी दुनिया को चुना. अपनी भावनाओं, कहानियों, और ज़मीनी स्तर की समस्याओं को फिल्मों का रूप दिया. उनकी फिल्मों में महिला किरदार थोड़ी जटिल, काफी बेबाक, और ज़रा हटके होती. मणिरत्नम की फ़िल्में महिलाओं के दिलों की गहराई और भावों की जटिलता को दर्शातीं. हवा, बारिश, पानी जैसे प्राकृतिक दृश्यों के ज़रिये - उदासी, खुशी, भय, हताशा, रोष, प्रेम, शून्यता, हर भावना को दिखाया.
मणिरत्नम डायरेक्टर होने के नाते अपने किरदारों को ऐसे गढ़ते कि बड़ी सहजता से पितृसत्ता की असलियत धीरे-धीरे सामने आती. मां, बहन और पत्नी के रूप की गहराई को दिखाया. आमतौर पर इनकी सभी नायिकाओं में स्वतंत्र स्वभाव देखा जाता है. उनकी हर पहलु की पड़ताल करने वाली फिल्म मेकिंग स्टाइल महिला किरदारों को बेचारी या पुरुष की पीछे चलने वाली नहीं दिखाती. 'नायकन', 'रोजा', 'बॉम्बे', 'दिल से' और 'कन्नाथिल मुथमित्तल' जैसी फिल्मों में, महिला पात्र कहानी का अभिन्न अंग हैं और उन्हें पुरुष प्रधानों के समान महत्व दिया गया. उनकी आकांक्षाओं, इच्छाओं और संघर्षों को चित्रित किया गया.