'ग्रीनवे' स्टोव बना क्लीन कुकिंग का दूसरा नाम

ग्रीनवे एप्लायंसेज क्लीन कुकिंग टेक्नॉलोजी पर ध्यान देते हुए ईको फ्रेंडली खाना पकाने के तरीके ला रही है. ये भारतीय घरों में पारंपरिक चूल्हों को बदलने के लिए सस्टेनेबल प्रोडक्ट्स बना रही है.

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पारंपरिक मिट्टी के चूल्हे दुनिया के जलवायु परिवर्तन में 2% का योगदान देते हैं. इसके इस्तेमाल से हर साल करीब 4 मिलियन मौतें होती हैं. इनमें से एक चौथाई मौतें अकेले भारत में होती हैं. इन परेशानियों को दूर करने के लिए ग्रीनवे एप्लायंसेज की शुरुआत की गई. यह कंपनी क्लीन कुकिंग टेक्नॉलोजी पर ध्यान देते हुए ईको फ्रेंडली खाना पकाने के तरीके ला रही है. ये भारतीय घरों में पारंपरिक चूल्हों को बदलने के लिए सस्टेनेबल प्रोडक्ट्स बना रही है.

2011 में अंकित माथुर और नेहा जुनेजा द्वारा शोएब काज़ी के साथ ग्रीनवे की शुरुआत की गई. सस्टनेबिलिटी के इस सफ़र ​में इंजीनियरिंग, सेल्स और मैनुफेक्चरिंग के लिए कई एंट्रेप्रेन्योर्स और एक्सपर्ट्स जुड़ते चले गए और आज ग्रीनवे 2000 से ज़्यादा उद्यमियों का परिवार बन चुका है.