"लैंगिक समानता से ग्लोबल आर्थिक विकास है मुमकिन"- गीता गोपीनाथ
वीडियो : भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ बताती है कि विकासशील देशों में, अनौपचारिक क्षेत्र में महिलाओं का ज़्यादा प्रतिनिधित्व है जहां उन्हें कम वेतन, कम नौकरी की सुरक्षा और कम सामाजिक सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है
भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Indian-American economist Gita Gopinath) बताती है कि विकासशील देशों (developing countries) में, अनौपचारिक क्षेत्र में महिलाओं का ज़्यादा प्रतिनिधित्व है जहां उन्हें कम वेतन, कम नौकरी की सुरक्षा और कम सामाजिक सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. दुनिया भर के देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने के लिए जूझ रहे हैं - लगातार बढ़ती आबादी, व्यापार में आते बदलाव, सामाजिक अशांति, और मौसम से संबंधित आपदाओं का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए आर्थिक गतिविधियों (economic activities) में महिलाओं की भागीदारी ज़रूरी हो जाती है. वर्क फाॅर्स (work force) में महिलाओं को जोड़कर न सिर्फ महिला सशक्तिकरण (women empowerment) बल्कि वैश्विक आर्थिक विकास (global economic growth) के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिल सकेगी.