लीला एक प्रोग्रेसिव सोच वाली महिला थी. उन्होंने अपने बेटे की फीलिंग्स को समझा और उसे पूरा साथ दिया. वे नहीं चाहती थी कि उनका बेटा किसी भी तरह से अलग महसूस करे.
"मेरा बेटा क्रिमिनल नहीं है!" ये शब्द थे एक माँ के जो अपने बेटे की सेक्शुएलिटी को खुल कर अपना चुकी थी. लीला सेठ, जो कि भारत की राजधानी, दिल्ली, की पहली महिला जज बनी और हिमाचल प्रदेश के हाई कोर्ट की पहली चीफ जस्टिस. देश में कानून जिनके आगे झुकता हो, वो हारा हुआ महसूस कर रही थी, जब होमोसेक्शुअल होना देश में फिर से क्रिमिनल ऑफेन्स माना जाने लगा.
विक्रम सेठ एक बेहतरीन राइटर, और अपनी माँ के लाड़ले, घर के सबसे बड़े बेटे थे. जब उन्होंने अपनी माँ लीला सेठ को बताया कि मैं गे हूं, ज़ाहिर सी बात है, उन्होंने इस बात को समझने और एक्सेप्ट करने में टाइम लगाया होगा. लेकिन लीला एक प्रोग्रेसिव सोच वाली महिला थी. उन्होंने अपने बेटे की फीलिंग्स को समझा और उसे पूरा साथ दिया. वे नहीं चाहती थी कि उनका बेटा किसी भी तरह से अलग महसूस करे.