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Image credits: Ravivar vichar
25 साल के इस सफर में कुदुंबश्री ने महिला सशक्तिकरण के सिद्धांतों को लागू करवाया और उन्हें आर्थिक आज़ादी तक पहुंचने के लिए मंच दिया. कुदुंबश्री इकाइयों ने महिलाओं को अपना रोज़गार शुरू करने के लिए लोन, ट्रेनिंग और सहायता तक पहुंच प्रदान की. उन्होंने स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामुदायिक विकास पहलों पर भी काम किया.
कुदुंबश्री SHG की सिल्वर जुबली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहां, "मेरा मानना है कि जब महिलाओं को किसी भी समाज में अहम भूमिका दी जाती है, तो इसका परिणाम उस समाज की बेहतरी होता है. केरल में, महिलाएं अधिक शिक्षित और सशक्त हुई हैं, जो कई मानव विकास सूचकांकों पर केरल के बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है." राष्ट्रपति ने केरेला के महिला सशक्तिकरण के प्रयासों को सराहा और बताया कि कोंस्टीटूएंट अस्सेम्ब्ली में 15 महिला सदस्यों में से तीन केरल से हैं. राष्ट्रपति मुर्मू ने 'कुदुंबश्री @ 25' और अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए 'उन्नति' बुकलेट का उद्घाटन किया.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के विकास में महिलाओं के योगदान को सराहा और कहां कि "नारी शक्ति के लिए आकाश ही सीमा है. " उन्होंने महिलाओं कि क्षमताओं पर धयान देते हुए उन्हें उद्यमकर्त्ता बनने में मदद करने के लिए कहा.
कुदुंबश्री SHG भारत में महिला सशक्तिकरण और गरीबी में कमी के लिए एक मॉडल बन गई है. आज, यह पूरे केरल में 44 लाख से ज़्यादा सदस्यों के साथ देश में सबसे बड़ा महिला स्वसहायता समूह आंदोलन है. कुदुंबश्री देशभर के SHG के लिए मिसाल है.