ज़ुबान पर चढ़ा 'दीदी' का चटाकेदार अचार !

तीन साल पहले तक खेतों में मजदूरी करने वाली सविता मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने खड़ी थी. 'जय माता दी' SHG समूह की महिलाओं के साथ शुरू किया उन्होंने अचार बनाना, जिसे मुख्यमंत्री ने भी चखा और पसंद किया !

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रतलाम जिले का गांव धामनोद में लगे डोम में पैर रखने की जगह तक नहीं. मंच पर मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह खड़े हैं. उनके भाषण के पहले संचालक ने नाम पुकारा सविता देवी चौहान को अधिकारी सम्मान से मंच पर लाए. भीड़ में खड़ी सविता अपनी तीन अन्य साथियों के साथ मंच पहुंची. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कहते हैं - आप ही हो न अचार वाली दीदी. सविता ने कहा - जी सर.  इतना कहते ही उसने अपने हाथों में पकड़ी अचार की पैक बॉटल सीएम को दे दी. 

कलोरी खुर्द गांव की सविता चौहान  की कहानी बड़ी दिलचस्प है. सविता और उसके पति हीरालाल चौहान खेत मजदूरी के लिए जाते. सविता कहती है -"मेरा छोटा बेटा गोदी में था. मजदूरी कर पेट भरना ही किस्मत में था. मैं  चिलचिलाती धूप में बच्चे को पेड़ के नीचे झोली बांध कर सुलाती थी. बड़ा बेटा घर पर छोड़ कर आती. "

और एक दिन कलोरी खुर्द में जिला पंचायत की टीम पहुंची. ऐसे ही मजदूरों और कुछ वहां मौजूद महिलाओं को पंचायत सदस्य सरकारी स्कीमों को समझा रहे थे. अपने पैरों पर कैसे खड़ा हुआ जाए ,कैसे स्वाभिमान की ज़िंदगी जी सकें,यह सब शामिल था. शाम हो रही थी महिलाएं मजदूरी से लौट रही थी. उनमें सविता भी शामिल थी. पंचायत में चहल-पहल देख वह भी रुकी. खुद का रोजगार और कमाई की बात सुनते ही वहीं बैठ गई. हालांकि सरकारी स्कीम का सुनकर महिलाओं के गले बात पूरी तरह नहीं उतरी. सविता ने वहां बैठे अधिकारियों से कहा -"साब, परेशान तो बहुत हैं. पर हमारे पास पैसा है न कोई धंधा शुरू करने का आइडिया." अधिकारियों के समझाने पर सविता राजी  हो गई. समूह बनाया. नाम रखा जय माता दी महिला स्वसहायता  समूह. अध्यक्ष बनी पवन कुमारी.

सविता आगे बताती हैं -"वह अपनी साथियों के साथ थोक में केरियां खरीद कर लाईं.अचार का मसाला और  पैकेजिंग के लिए  शीशियां और सिल्वर क्वाईन भी सस्ते दामों पर इंदौर से मंगाए,जिससे मुनाफा ज्यादा मिल सके."आजीविका नाम से ये अचार स्टोर और हाट बाजार में बेच रहें हैं.सविता आगे कहती है -" पहले खेत मालिकों से कर्ज लेना पड़ता था. अब बेहतर जिंदगी जी रही है. समूह का लोन भी वह समय पर उतार चुके हैं.पति भी मजदूरी छोड़ अचार के प्रचार और सप्लाई में सहयोग करने लगे.अब उन्हें दस से 15 हजार रुपए की कमाई हो जाती है.अचार दो सौ किलो रुपए बिक रहा है.सीज़न खत्म होने पर इंदौर कोल्ड स्टोर से केरी मंगा ली. 

महिलाओं की मेहनत ने समूह बना कर देश में अलग पहचान बना ली. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यहां के समूहों के उत्पादों की सराहना की है."

रतलाम मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह धामनोद अचार