गधे के दूध का साबुन

गधे के दूध का साबुन औरत के शरीर को हमेशा सुंदर रखता है. एक बहुत मशहूर विदेशी रानी 'क्लियोपैट्रा' गधे के दूध में नहाया करती थी, दिल्ली में गधे के दूध का साबुन 500 रुपए का एक बिक रहा हैं. क्यों ना आप लोग भी गधे के दूध का साबुन बनाए.

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सुर्ख़ियों में इसीलिए क्योंकि जब पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत स्थापित उद्यमिता प्रेरणा महिला लघु उद्योग में पोषाहार बनाने की यूनिट का शुभारंभ करने पहुंची तो अपने भाषण में बोली - "कितने दिन हो गए आप लोगों को गधे देखे हुए ? कम हो गए हैं, ख़त्म हो गए हैं. धोबी का काम भी खत्म हो गया है, अब किसी को गधे से कोई काम नहीं पड़ता, मजदूर हो या धोबी सब लोगों ने अपने संसाधानों को बदल लिया है लेकिन लद्दाख में लोगों ने गधों से दूध निकालना शुरू किया और गधे के दूध से साबुन बनाया. " 

मेनका गाँधी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है साथ ही ट्रोल भी उतना ही हो रहा है . उन्होंने स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं  से कहा - " गधे के दूध का साबुन औरत के शरीर को हमेशा सुंदर रखता है." दुनिया के उदहारण देते हुए कहा -  "एक बहुत मशहूर विदेशी रानी 'क्लियोपैट्रा' गधे के दूध में नहाया करती थी,  दिल्ली में गधे के दूध का साबुन 500 रुपए का एक बिक रहा हैं. क्यों ना आप लोग भी गधे के दूध का साबुन बनाए " मेनका गांधी ने सिर्फ गधे के दूध कही नहीं बल्कि पेड़ो को बचाने के लिए भी पहल करने की बात कही .  उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार के वक़्त इस्तेमाल कि जाने वाली लड़की कि जगह अगर आप लोग गोबर के कंडे बेचना शुरू करें, तो पेड़ बचेंगे ही और आप लोगो की अच्छीखासी आमदनी भी हो जाएगी." लेकिन ट्रोल और सोशल मीडिया पर छाईं गधे के दूध के कारण.  मेनका गांधी यही नहीं रुकी. उन्होंने हमारे देश में वेटेरनरी डॉक्टर्स की कमी के मुद्दे को भी सबके सामने रखा. मेनका ने लोगों को कहा कि, "मैं नहीं चाहती कि आप लोग सिर्फ जानवरों को पाले, बल्कि उसे पैसा कमाए. स्वयं सहायता समूह बनाए और उसमें अपना पैसा निवेश करें. सिर्फ पशु पालन को ही अपनी आजीविका न बनाए."

यूनाइटेड नेशंस के खाद्य और कृषि संगठन ने भी अपने शोध में पाया कि गधी के दूध में ऐसे प्रोटीन्स होते है जो गाय और भैंस का दूध ना पीने वाले लोगों के लिए लाभदायक है. इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में भी किया जा सकता है. यूरोप में बहुत सी काम करने वाली महिलाईमन अपने नवजात बच्चों को गधी का पेस्चराइज़्ड दूध पिलाती है. भारत में अभी गधी के दूध का इतना प्रचालन नहीं है, लेकिन फिर भी लोगों के सामने बहुत सी बाते आ चुकी है जो गधी के दूध को बहुत अच्छा और इस्तेम्मल करने योग्य मानते है. 

देश में भले ही इस बात को मज़ाक में ले रहा हो या ट्रोल आर्मी इस मुद्दे के पीछे लग गई हो , लेकिन इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि गधी का दूध आज देह दुनिया में बहुत महंगा बिक रहा है. इस दूध को कई तरह के कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जा रहा है.  ये बात किसी से छुपी नहीं है कि कॉस्मेटिक इंडस्ट्री कितनी बड़ी है और सुंदरता का कारोबार सबसे ज़्यादा फायदेमंद धंधा है. इस अवसर पर स्वयं सहायता समूहों कि महिलाओं को ध्यान देना चाहिए और अपने अपने SHG में गधी के दूध का उपयोग करना चाहिए. इसे वो अपना रोजगार और कारोबार का एक बहुत बड़ा साधान बना सकती है. और शायद SHG महिलाओं के कारण इस जानवर को थोड़ी इज़्ज़त मिल जाए.

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