अक्सर देखा जाता है कि रोड ट्रिप या फैमिली वेकेशन का मज़ा महिलाओं के लिए तब किरकिरा हो जाता है, जब सफर के दौरान साफ़ रेस्टरूम्स नहीं मिलते. उन्होंने इस समस्या को दूर करने का इरादा किया. वहां से शुरू हुआ एलू के ज़रिये अपने विज़न को रियलिटी बनाने का सफर.
2018 में, जब दीप्तेंदु ने अपना बिजनेस आइडिया एंटरप्रेन्योर्स के सामने रखा तो हंसी और ठहाकों की आवाज़ से कमरा गूंज उठा. आईडिया था हाइवेज़ के किनारे महिलाओं के लिए सुलभ और साफ़ पब्लिक टॉयलेट्स बनाना. अक्सर देखा जाता है कि रोड ट्रिप या फैमिली वेकेशन का मज़ा महिलाओं के लिए तब किरकिरा हो जाता है, जब सफर के दौरान साफ़ रेस्टरूम्स नहीं मिलते.
एक बार सफ़र के दौरान उनकी पत्नी को भी इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने इस समस्या को दूर करने का इरादा किया. जर्नलिस्ट दीप्तेंदु ने अपनी नौकरी छोड़ इस प्रोजेक्ट पर काम करने का फैसला लिया. दीप्तेंदु कहते हैं, "हाइवेज़ पर महिलाओं के लिए सफ़र को आरामदायक बनाना इस स्टार्टअप को शुरू करने का मेरा मुख्य लक्ष्य था।" उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की फेलोशिप कार्यक्रम में रजिस्टर करवा और ये विचार सरकार के सामने रखा. वहां से शुरू हुआ एलू के ज़रिये अपने विज़न को रियलिटी बनाने का सफर.