विजया लक्ष्मी पंडित न केवल आज़ादी से पहले भारत में राजनीतिक पद संभालने वाली पहली महिला थी, बल्कि संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्ब्ली की अध्यक्ष बनने वाली भी पहली महिला थी.
सक्रिय राजनीतिक क्षेत्र में अभी भी पुरुषों का वर्चस्व है. बहुत कम महिलाएं अपने कौशल से राजनीतिक जगत में अपनी जगह बना पाई हैं. इन्हीं में से एक हैं विजया लक्ष्मी पंडित. प्रसिद्ध नेहरू परिवार की सदस्य होने के बावजूद, विजया लक्ष्मी पंडित को राजनीतिक क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. पंडित न केवल आज़ादी से पहले भारत में राजनीतिक पद संभालने वाली पहली महिला थी, बल्कि संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्ब्ली की अध्यक्ष बनने वाली भी पहली महिला थी.
AIWC का हिस्सा बन विजया लक्ष्मी पंडित ने शुरू किया था राजनीतिक करियर
विजया लक्ष्मी पंडित वह नाम था जिससे ब्रिटिश शासन कांपता था.अमेरिका जाने के लिए विजया लक्ष्मी पंडित के 1944 के पासपोर्ट आवेदन ने ब्रिटिश अधिकारियों के लिए एक दुविधा पैदा कर दी. जानी-मानी एंटी-कोलोनियल एक्टिविस्ट विजया लक्ष्मी के इंडिया से बाहर जाने पर डर था कि वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ इंटरनेशनल लेवल पर प्रचार करेंगी. और अगर उन्हें जाने की अनुमति न दी जाये तो हिरासत में हुई उनके पति की मृत्यु की बात उजागर हो जाएगी.