विकास का ज़रिया बना वर्मी खाद

देश में vermicomposting बहुत तेजी से बढ़ रही है. छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर वनांचल गांव है. यहाँ पर रहने वाली महिलाएं भी वर्मी खाद बनाकर अपना जीवन बहुत अच्छे से चला रहीं है.

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'केंचुआ किसान का सबसे अच्छा मित्र है', क्यूंकि वह आर्गेनिक कचरे को humus में बदलकर मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाते है. इस प्रक्रिया से मिट्टी उपजाऊ बनती है. देश में vermicomposting बहुत तेजी से बढ़ रही है. छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर वनांचल गांव है. यहाँ पर रहने वाली महिलाएं भी वर्मी खाद बनाकर अपना जीवन बहुत अच्छे से चला रहीं है. पहले इस गांव की महिलाओं को दूरदराज के इलाकों में काम करने जाना पड़ता था, और इनकी आमदनी भी ना के बराबर थी. इसी गांव की एक महिला ललिता का भी कुछ ऐसा ही हाल था. उसपर वे विकलांग भी थीं, दूसरी औरतों की तरह वे कही आना जाना भी नहीं कर पातीं थीं. 

वे परेशानी से हारी नहीं बल्कि उन्होंने अपने गांव में चंद्रमुखी स्वयं सहायता समूह (SHG) की शुरुआत की. इसी समूह के साथ मिलकर उन्होंने अपने गौठान में केंचुआ उत्पादन के साथ वर्मी खाद बनाना शुरू किया. समूह की महिलाओं ने कुछ समय में ही लगभग 17 लाख रुपए की आमदनी अर्जित की. छत्तीसगढ़ सरकार भी अपनी Ambitious Justice Scheme से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में लगातार सकारात्मक बदलाव ला रही है. इस self help group ने 31 क्विंटल केंचुआ उत्पादन किया गया और अब अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत होने से खुश हैं. चंद्रमुखी समूह की अध्यक्ष ललिता देवी राठिया ने बताया- "समूह में 10 महिला सदस्य हैं जो कि सभी गोठान में वर्मी खाद बनाने के साथ ही केंचुआ उत्पादन का कार्य करती हैं."

 

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