चप्पल की जगह सर पर नही...

चप्पल प्रथा एक ऐसी कुरीति है जिसकी वजह से दलित समुदाय की महिलाएं चप्पल पहनकर घर से बाहर नहीं निकल सकतीं. ऊंची जाती के माने जाने वाले लोग अगर बाहर बैठे भी हैं तो चप्पल हाथ में लेकर चलना पड़ता है.

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उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के ललितपुर जिले के अधिकतर गांवों में चप्पल प्रथा का चलन है. आप और हम घर की साफ़ फर्श पर भी चप्पल पहनकर चलते हैं. लेकिन बुंदेलखंड के कई गांवों में महिलाएं ऊंची जातियों के लोगों को देखकर चप्पल हाथ में ले लेती हैं. कई जगहों पर तो आज भी सर पर चप्पल रखकर जाना पड़ता हैं. चप्पल प्रथा एक ऐसी कुरीति है जिसकी वजह से दलित समुदाय की महिलाएं चप्पल पहनकर घर से बाहर नहीं निकल सकतीं. ऊंची जाती के माने जाने वाले लोग अगर बाहर बैठे भी हैं तो चप्पल हाथ में लेकर चलना पड़ता है. ऐसा न किया तो समझेंगे कि उच्च जाति के लोगों का अपमान हुआ, जिसके बाद इन महिलाओं को दांत और कभी तो हिंसा का सामना भी करना पड़ता है. 

इस तरह की कुप्रथा को ख़त्म करने के लिए कोई राजनेता, समाज सेवक, या अधिकारी नहीं पर गांव की महिलाएं आगे आईं. भगवती ने जब आज से 7 साल पहले चप्पल प्रथा के खिआफ़ आवाज़ उठाई तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इस आंदोलन को शुरू करने के बाद उन्हें उच्च जाति के लोगों से कई बार धमकियां मिलीं. भगवती और उनके पति के साथ मार पिटाई की गई. एससी, एसटी का मुकदमा दर्ज हुआ और अपने अधिकारों के लिए आज भी वे लड़ रहे हैं. भगवती को ये लड़ाई लड़ने की हिम्मत सहजनी से मिली. सहजनी शिक्षा केंद्र की दीदी ने महिलाओं को उनके अधिकार बताये और उन्हें ग़लत के ख़िलाफ़ जागरूक किया. शिक्षा केंद्र की दीदी ने बताया चप्पल हाथ में लेकर चलने की चीज़ नहीं है, पैर में पहनी जाती है. बड़े-बड़े आंदोलन और रैलियां भी निकाली. दलित महिलाओं को जागरूक किया. धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ने लगी और सभी महिलाएं उच्च जाति के दरवाज़े से चप्पल पहन कर जाने लगीं. 

भगवती ने अपने गांव में चप्पल प्रथा को पूरी तरह से ख़त्म करवाया, पर आस-पास के गांवों में आज भी इस प्रथा का चलन है. भगवती जैसी हिम्मत अगर हर उस गांव की महिला करले जहां चप्पल प्रथा है, तो इस कुप्रथा को जड़ से ख़त्म करना कोई बड़ी बात नही. अभी भी दलित समुदाय के कई लोग हिंसा, भेदभाव, बंधुआ मज़दूरी से जूझ रहे हैं. अधिक्कारों का पता न होना और जागरूकता, शिक्षा, रोज़गार की कमी होने की वजह से न चाहते हुए भी दलित समुदाय के लोगों के कुप्रथाएं माननी पड़ती हैं.

ललितपुर जिले उत्तर प्रदेश