छह साल के लम्बे इंतज़ार और संघर्ष के बाद, आखिरकार सफदरजंग एन्क्लेव (Safdarjung Enclave) में द पियानो मैन जैज़ क्लब में सैलरीड कलाकार के रूप में काम करने का मौका मिला. अरुणाचल प्रदेश से आई चोचुंग डेमा (Chochung Dema) को दिल्ली (Delhi) शहर से काफी उम्मीदें हैं. उन्होंने अपनी पहचान लाइव परफ़ॉर्मर (Live Performer) के रूप में बनाई. डेमा जब गाना शुरू करती तो, कौन क्या कहेगा, कौन कैसे देखेगा, थोड़ी देर के लिए भूल जाती.
दिल्ली के कैफ़े (cafe), क्लब (club), और पब (pub), हर महिला आर्टिस्ट (female artist) को सुरक्षा का अनुभव करवाये, ये ज़रूरी नहीं. ज्यादातर फीमेल आर्टिस्ट, अक्सर भीड़ से भरे मंद रोशनी वाली जगहों पर परफॉर्म (perform) करती हैं. ऐसे में, आर्टिस्ट को, ख़ासकर जो दूसरे शहरों से आई हैं, उन्हें असहज परिस्थितियों (uncomfortable situation) का सामना करना पड़ता है.
दिल्ली एनसीआर (Delhi-NCR) में ज़्यादा से ज़्यादा पब और कैफे फीमेल आर्टिस्ट की नाईट परफॉरमेंस (night performance) के ज़रिये मुनाफा बढ़ाते हैं. दिल्ली में गायिकाओं (singers) और संगीतकारों के सामने सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं, परिवार का सपोर्ट न मिलना, कम आमदनी, मकानमालिक को परेशानी होना और रिश्तेदारों के सवालों जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. माता-पिता नहीं चाहते कि उनकी बेटियां रात में परफॉर्म करें- कम से कम दिल्ली में, जहां महिलाओं पर हमलों की कहानियां लगभग हर दिन सुर्खियां बनती हैं. यह एक कारण है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की छात्रा नितिशा सूद ने अपने माता-पिता को अपने उभरते करियर के बारे में नहीं बताया. वह अक्सर कनॉट प्लेस (CP) और हडसन लेन (Hudson Lane) में लाइव गिग्स (Live gigs) में परफॉर्म करती है.
दिल्ली में पब बंद होने के समय, खासकर वीकेंड में, पब के बाहर छेड़-छाड़ (harassment) काफी आम हो गया है. यही वजह है कि फीमेल आर्टिस्ट और क्लब मालिक शनिवार और रविवार को ज़्यादा भीड़ होने के बावजूद देर रात के कार्यक्रमों से बचते हैं. सुरक्षा के डर से कई पब फीमेल आर्टिस्ट की जगह मेल आर्टिस्ट को हायर करते हैं.
नांबियार हौज खास (Hauz Khaas) में 2011 की एक घटना याद करती हैं, जब वह कराओके परफॉरमेंस (karaoke performance) की शुरुआत ही कर रही थीं, तभी भीड़ में से एक आदमी उन्हें परेशान करने लगा. वहां के मैनेजर ने नांबियार को उनके कैफ़े का नाम लेने से मना कर दिया. पुलिस ने, यह कहते उनकी शिकायत टाल दी कि सिर्फ "छेड़-छाड़ हुई है, बलात्कार तो नहीं हुआ ना."
तालियों और तारीफों के साथ फीमेल आर्टिस्ट को भद्दे कमेंट भी सुनने पड़ते हैं. परफॉरमेंस के दौरान भी उनका ध्यान सुरक्षा पर रहता है. हालांकि, कई कैफ़े इन आर्टिस्ट को सेफ स्पेस देने की कोशिश कर रहे हैं, पर अभी भी पूरी तरह से सुरक्षा मिल पाना एक सपने जैसा लगता है. टैलेंटेड होने और परफॉरमेंस के अवसर मिलने के बाद भी, कुछ पुरुषों की वजह से फीमेल आर्टिस्ट या तो इस फील्ड को छोड़ देती हैं, या बिना फेमिली के सपोर्ट के ही, अकेले अपनी लड़ाई लड़ने पर मजबूर हो जाती हैं. सेफ्टी भी उनके सपनों का एक हिस्सा बन जाती है.